गुरू ही हमारे जीवन को सही मार्ग पर ले जा सकते हैंः नवल किशोर दास महाराज -कंचन गिरि महाराज महंत थानापति आनंदेश्वरानंद गिरि महाराज ने सभी संतों का स्वागत अभिनंदन किया दिल्लीः प्राचीन गिरनार शिव मंदिर मोती बाग नार्थ वेस्ट में 6 मार्च से श्री धाम अयोध्या के कथा व्यास हरिदास अंकुरानंद महाराज की श्रीराम कथा का आयोजन हो रहा था। श्रीराम कथा की पूर्णाहुति शुक्रवार को श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता में हुई। पूर्णाहुति के बाद हवन, संत सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें देश भर से आए संतों ने भाग लिया।
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा:-
श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि भगवान राम जैसा चरित्र इस संसार में पैदा नहीं हुआ। वह परम उदार, दयालु और मार्गदर्शक हैं। भगवान राम का नाम उनसे भी बड़ा है। उनके नाम में इतनी शक्ति है कि अगर सच्ची भक्ति और निष्ठा से पत्थर पर राम नाम लिखा जाए तो वह भी पानी में तैरने लगता है। श्रीराम कथा हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। कथा सुनने मात्र से ही प्रभु की कृपा मिलती है।जहां भगवान श्रीराम की कृपा होती है, उसी जगह रामकथा संभव हो पाती है। राम की कृपा वहीं होती है, जहां उनके भक्त रहते हैं। रामकथा से हर जीव की व्यथा दूर हो जाती है। रामकथा के श्रवण मात्र से ही संसार के सभी जीवों का मंगल हो जाएगा।
श्रीराम चरितमानस:-
दिल्ली संत महामंडल के महामंत्री नवल किशोर दास महाराज ने कहा कि यदि हम रोड पर बिना ब्रेक की गाडी लेकर निकले तो हमारा ही नहीं उनका भी नुकसान होगा जिनसे बिना ब्रेक की गाडी टकराएगी। हमारा जीवन भी ऐसा ही है। उसमें संस्कार, नैतिकता, कर्त्तव्य निष्ठा, अनुशासन, मर्यादा, संस्कृति, परम्परा, श्रेष्ठता, ज्येष्ठता रूपी ब्रेक ना हो तो सोचिए जीवन का कितना बडा नुकसान होगा। संस्कार, नैतिकता, कतर्तव्य हनिष्ठा, अनुशासन, मर्यादा, संस्कृति व परम्परा हमें अपने श्रेष्ठ, ज्येष्ठ व गुरूओं से मिलेगी। वे ही हमारे जीवन को सही मार्ग पर ले जा सकते हैं। महामंडलेश्वर संगठन मंत्री कंचन गिरि ने कहा कि श्रीराम चरितमानस जीवन का ऐसा संविधान है, जिसका पालन करने पर हमारा जीवन धन्य हो जाएगा और यह संसार स्वर्ग बन जाएगा। बचपन से लेकर जीवन के प्रत्येक मोड पर हमारा आचरण, व्यवहार कैसा हो, अपने समाज व देश के प्रति, राजा, प्रजा, अपने माता-पिता, बच्चों, भाई, पत्नी सभी के साथ हमारा सम्बंध कैसा हो, इस सबका ज्ञान हमें सिर्फ श्रीराम चरित मानस से ही मिल सकता है। सत प्रवचन के बाद भंडारे का आयोजन भी हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। प्रभारी महंत थानापति आनंदेश्वरानंद गिरि महाराज ने सभी संतों का स्वागत अभिनंदन किया और सभी को विदाई भेंट की। दिल्ली संत महामंडल की मुख्य निदेशक महामंडलेश्वर साध्वी विद्यानंद गिरि, मुख्य संरक्षक श्रीमहंत रामा पुरी महाराज, कोषाध्यक्ष श्रीमहंत धीरेंद्र पुरी महाराज, संगठन मंत्री गिरिशानंद गिरि महाराज, महंत रनसिंहानंद गिरि महाराज, महंत कृष्णनंद गिरि संगठन मंत्री दादरी, श्रीमहंत बबूल गिरि महाराज गाजियाबाद मुकेशानंद गिरि महाराज, कोतवाल मंगल दास उदासीन आदि भी मौजूद रहे।