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अराजकता व अशांति के माहौल में नारायणीयम् महोत्सव वैकुंठमृतम् जैसे आयोजन ही “वसुधैव कुटुम्बकम्” की परिकल्पना को साकार कर सकते हैंः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज

महाराजश्री बोले, भगवान गुरुवायूरप्पन का मंदिर वास्तव में ही भूलोक का वैकुंठ धाम है।

श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने महोत्सव में पुरस्कार प्रदान किए।

केरलः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दिल्ली संत मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज मंगलवार को केरल के पवित्र शहर गुरुवायूर में आयोजित ऐतिहासिक 10वें नारायणीयम् महोत्सव वैकुंठमृतम् में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

उन्होंने धर्म, अध्यात्म समेत विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों तथा महोत्सव में सहयोग करने वाले लोगों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

महाराजश्री ने कहा कि:-

महाराजश्री ने कहा कि आज जब पूरे विश्व में अराजकता व अशांति का माहौल है और चारों तरफ युद्ध का खतरा मंडरा रहा है, तो ऐसे समय में नारायणीयम् महोत्सव वैकुंठमृतम् जैसे आयोजन ही आशा की किरण के रूप में नजर आते हैं। नारायणीयम् महोत्सव वैकुंठमृतम् देश-विदेश में धर्म, अध्यात्म, ज्ञान, संस्कार और संस्कृति का जो उजाला फैला रहा है, उससे ही “वसुधैव कुटुम्बकम्” की परिकल्पना साकार हो सकती है और पूरे विश्व में शांति, अहिंसा, प्रेम व भाईचारे की स्थापना कर पूरे विश्व को ऐसा परिवार बनाया जा सकता है, जहां अमीर-गरीब और ऊँच-नीच का कोई भेद नहीं होगा तथा सभी को समान माना जाएगा।

  • श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि विश्व प्रसिद्ध भगवान गुरुवायूरप्पन अर्थात भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर वास्तव में ही भूलोक का वैकुंठ धाम है। मंदिर में प्रवेश करते ही ऐसा अहसास होता है मानो हम वैकुंठ धाम में आ गए हों।
  • महोत्सव के तीसरे दिन मंगलवार को देश-विदेश के हजारों भक्त शामिल हुए और सभी ने महाराजश्री से भेंटकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
  • महोत्सव का शुभारंभ गणपति होमम् से हुआ, जिसके पश्चात त्रिशक्ति पूजा, ब्रह्मश्री त्रिविक्रम अडिगल द्वारा नारायणीय पारायणम् का आयोजन हुआ।
  • आचार्य मूर्कन्नूर श्रीहरी नम्बूदिरी ने “श्रीमद् नारायणीयम् में प्रेम और भक्ति का स्वरूप” विषय पर तथा आचार्य प्रो. सरिता अय्यर ने “मानव जीवन की सफलता नारायणीय भक्ति से ही संभव है” विषय पर प्रवचन किया।
  • दोपहर को सांस्कृतिक सम्मेलन, राष्ट्रीय गान एवं प्रार्थना हुई।
    आर. नारायण पिल्लै ने अभिनंदन भाषण दिया तथा स्वागत समिति के अध्यक्ष सी. मोहनदास ने अध्यक्षता की।
  • उद्घाटन मेजर के. रवि ने किया।
    महामंडलेश्वर स्वामी प्रभाकरानंद सरस्वती ने प्रवचन दिया।
    पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष गुरुवायूर प्रो. पी. के. शांताकुमारी ने सभी को शुभकामनाएं दीं।
    कृतज्ञता ज्ञापन पी. कन्ननकुट्टी ने दिया।
  • लेखक-अभिनेता अभिनाश पिल्लै, सी. ए. साजिनी, अधिवक्ता रवि चंगथ, पी. एस. शशिकुमार आदि भी मौजूद रहे।
  • तुलसी विवाह उत्सव, दीप प्रज्वलन के बाद गुरुवायूरप्पन के चारों ओर परिक्रमा एवं अर्पण अनुष्ठान किया गया।

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