जय दूधेश्वर महादेव
जसोल माजीसा धाम बालोतरा बाड़मेर राजस्थान में पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के सानिध्य एवं अध्यक्षता में शतचंडी अनुष्ठान यज्ञ सम्पन्न होने के उपरान्त आज विजय दशमी (दशहरा) के अवसर पर रावल किशन सिंह जी ने महाराज श्री के साथ राणी भटियाणी माता ,बाईसा सवाई सिंह जी ,लाल बन्ना जी ,भैरव जी के जितने भी अस्त्र शस्त्र है उनका पूजन हुआ ,रावल किशन सिंह जी,कुंवर हरिश्चन्द्र सिंह जी , महाराज श्री समस्त देश वासियों को दशहरा की शुभकामनाएं दी ,
दशहरा :-शारदीय नवरात्र के 9 दिन मां भगवती के व्रत करने के बाद 10वें दिन यानी कि दशहरे पर भगवान राम की पूजा की जाती है और दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में विजयादशमी को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। तभी से लोग हर साल लोग आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरे के रूप में मनाते हैं। इस दिन रावण के पुतले का दहन करके दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। इस साल दशहरा 5 अक्टूबर बुधवार को मनाया गया और इस दिन देश भर में जगह-जगह पर रावण के पुतले जलाया गया,
इसलिए मनाया जाता है दशहरा:-14 वर्ष के वनवास के दौरान लंकापति रावण ने जब माता सीता का अपहरण किया तो भगवान राम ने हनुमानजी को माता सीता की खोज करने के लिए भेजा। हनुमानजी को माता सीता का पता लगाने में सफलता प्राप्त हुई और उन्होंने रावण को लाख समझाया कि माता सीता को सम्मान सहित प्रभु श्रीराम के पास भेज दें। रावण ने हनुमानजी की एक न मानी और अपनी मौत को निमंत्रण दे डाला। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जिस दिन रावण का वध किया उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी। राम ने 9 दिन तक मां दुर्गा की उपासनी की और फिर 10वें दिन रावण पर विजय प्राप्त की, इसलिए इस त्योहार को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। रावण के बुरे कर्मों पर श्रीरामजी की अच्छाइयों की जीत हुई, इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाद और उसके भाई कुंभकरण के पुतले भी फूंके जाते हैं।मां दुर्गा ने किया था महिसाषुर का वध:-पौराणिक मान्यताओं में विजयादशमी को मनाने के पीछे एक और मान्यता यह बताई गई है कि इस दिन मां दुर्गा ने चंडी रूप धारण करके महिषासुर नामक असुर का भी वध किया था। महिषासुर और उसकी सेना द्वारा देवताओं को परेशान किए जाने की वजह से, मां दुर्गा ने लगातार नौ दिनों तक महिषासुर और उसकी सेना से युद्ध किया था और 10वें दिन उन्हें महिसाषुर का अंत करने में सफलता प्राप्त हुई। इसलिए भी शारदीय नवरात्र के बाद दशहरा मनाने की परंपरा है। इसी दिन मां दुर्गा की मूर्ति का भी विसर्जन किया जाता है।
हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिवअमित कुमार शर्माश्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश