स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के नेतृत्व व श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की प्रेरणा से भक्तों के सैलाब को देखते हुए पैदल भ्रमण करते हुए संगम तक पहुंचे अखाड़े के सवा साधु-संत
भक्तों की सुविधा के लिए रथ-घोड़ो व सिंहासन का त्याग कर दिया
प्रयागराजः
प्रयागराज महाकुंभ का पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति पर्व हुआ, जिसमें जूना अखाड़ा ने इतिहास कायम कर दिया। भक्तों के सैलाब को देखते हुए जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर, जगतगुरू शंकराचार्य, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा साधु समेत तमाम संतों ने रथ-घोड़ो व सिंहासन का त्याग कर दिया और जनता के साथ ही पैदल ही भ्रमण करते हुए संगम पर पहुंचकर स्नान किया। मकर संक्रांति पर सभी अखाड़ों का पहला अमृत स्नान हुआ। अमृत स्नान का सिलसिला प्रातः 6.15 बजे से शुरू हुआ, जो सांय 5 बजकर 20 मिनट तक चला। मकर संक्रांति पर प्रयागराज में संतों व भक्तों का ऐसा जबरदस्त सैलाब लगा कि पैर रखने को भी जगह नहीं रही। पैदल तक निकलना मुश्किल हो गया। जूना अखाड़ा से जुडे सभी संत जब अमृत स्नान के लिए निकले तो भक्तों के सैलाब को देखते हुए अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि सभी भक्त भगवान के दर्शन, संगम में स्नान का पुण्य प्राप्त करने व संतों का आशीर्वाद लेने आए हैं। जब ये हमारे लिए इतना सब कुछ कर रहे हैं तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम इन्हें कोई कष्ट ना होने दें। उनके नेतृत्व तथा जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के निर्देशानुसार व प्रेरणा से जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज, श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर व श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज समेत सभी संतों ने निर्णय लिया कि वे सभी रथ-घोड़ो व सिंहासन का त्याग कर जनता के साथ ही पैदल भ्रमण करते हुए संगम तट तक पहुचेंगे।
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सबसे आगे आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, उनके पीछे नागा साधु फिर मंडलेश्वर साध्वी आदि पैदल भ्रमण करते हुए अमृत स्नान के लिए निकले। नगर देवता तक पैदल भमण करते हुए भक्तों पर अपनी कृपा बरसा रहे थे। 200 मंडलेश्वर, 35 हजार नागा साधु, 50 हजार साधु सवा संत व विश्व भर से आए जूना अखाड़े के लगभग सवा लाख साधु-संतों की पैदल यात्रा को देखकर करोडों श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ स्वागत किया तो पूरा आकाश ही गूंजायमान हो उठा। जहां अन्य अखाडों की सवारी रथ-घोडों व सिंहासन पर निकली वहीं सबसे बडे, सबसे पुराने, सबसे अधिक संख्या वाले जूना अखाड़ा ने जनता की सुविधा के लिए पैदल यात्रा करते हुए संगम तक पहुंचकर जो मिसाल कायम की, उसकी सब जगह सराहना हो रही है। जूना अखाड़े के संतों का जिलाधिकारी, मेला अधिकारी, पुलिस अधिकारियों द्वारा मार्ल्यापण कर स्वागत किया गया। संगम पर सबसे पहले जूना अखाड़े के देवता संगम देवता सूर्य प्रकाश, फिर दत्त भगवान की चरण पादुका, उसके बाद दत्त भगवान को स्नान कराया गया। उसके बाद आचार्य महामंडलेश्वर, नागा साधु फिर मंडलेश्वर साध्वी आदि ने स्नान किया। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर व श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि मंगलवार को मकर संक्रांति पर संतों व भक्तों के सैलाब को देखते हुए ऐेसा लगा कि जैसे पूरा विश्व ही संगम पर विराजमान हो गया हो। इस सबके बावजूद बहुत ही अच्छी व्यवस्था रही और किसी को भी कोई परेशानी नहीं हुई तो इसका श्रेेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के संत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है।