16 अगस्त यानी आज सावन का आखिरी सोमवार है। सावन के सोमवार का महत्व बहुत अधिक होता है। और सभी जानते है 22 अगस्त को सावन का माह समाप्त हो जाएगा। सावन सोमवार के दिन विधि- विधान से भगवान शिव जी की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव धरती पे ही रहते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन की शुरुआत 25 जुलाई से हुई थी।
सावन का पूरा महीना पवित्र और शुभ होता है, लेकिन सोमवार का खास महत्व होता है। शिव भक्त सोमवार को उपवास रखते हैं, और इसे सोमवार व्रत के रूप में भी जाना जाता है। 16 अगस्त सावन मास का अंतिम सोमवार व्रत होगा। भक्तों का मानना है कि भगवान शिव की सच्चे मन से भक्ति उन्हें सुख और समृद्धि प्रदान करेगी।
16 अगस्त की तिथि, नक्षत्र और राशि विवरण:-
अष्टमी तिथि 16 अगस्त को सुबह 07:45 बजे तक, उसके बाद नवमी तिथि 17 अगस्त को सुबह 5:34 बजे तक रहेगी। 17 अगस्त को सुबह 03:02 बजे तक नक्षत्र अनुराधा रहेगा। जहां चंद्रमा होगा। वृषिका राशि में सूर्य 17 अगस्त को प्रातः 01:32 बजे तक कारक राशि में रहेगा।
शुभ मुहूर्त 16 अगस्त:-
तीनों शुभ मुहूर्त – रवि योग, ब्रह्मा और अभिजीत मुहूर्त 16 अगस्त को प्रबल होंगे। रवि योग 16 अगस्त को शाम 05:50 बजे से 17 अगस्त को सुबह 01:32 बजे तक चलेगा। अभिजीत मुहूर्त का समय 11 बजे से है। :58 बजे से दोपहर 12:51 बजे, जबकि ब्रह्मा सुबह 04:24 बजे से 05:07 बजे के बीच रहेंगे। गोधुली मुहूर्त जैसे अन्य शुभ मुहूर्त शाम 06:46 बजे से शाम 07:10 बजे तक होंगे, जबकि विजय मुहूर्त दोपहर 02:36 बजे से 03:29 बजे के बीच होगा.

भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री:-
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
- सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
- शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
- भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।
- भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।