राज्यमंत्री नरेंद्र कश्यप ने संजयनगर सेक्टर 23 में महर्षि कश्यप की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की
गाजियाबादः
पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा संजयनगर सेक्टर 23 के बी ब्लॉक में रविवार को महर्षि कश्यप की भव्य प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया।
श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि महर्षि कश्यप द्वारा संपूर्ण सृष्टि की सृजना में दिए गए महायोगदान की यशोगाथा हमारे वेदों, पुराणों, स्मृतियों, उपनिषदों एवं अन्य अनेक धार्मिक साहित्यों में भरी पड़ी है। इसी कारण उन्हें ष्सृष्टि के सृजकष् उपाधि से विभूषित किया जाता है। महर्षि कश्यप पिघले हुए सोने के समान तेजवान थे। उनकी जटाएं अग्नि.ज्वालाएं जैसी थीं। महर्षि कश्यप ऋषि.मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। सुर-असुरों के मूल पुरूष मुनिराज कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहां वे पर.ब्रह्म परमात्मा के ध्यान में मग्न रहते थे। मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म.नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदेश देते थे। महर्षि कश्यप राग.द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे। वे निर्भीक एवं निर्लोभी थे।
कश्यप मुनि निरन्तर धर्मोपदेश करते थे, जिनके कारण उन्हें महर्षि जैसी श्रेष्ठतम उपाधि हासिल हुई। समस्त देव, दानव एवं मानव उनकी आज्ञा का पालन करते थे। महर्षि कश्यप ने समाज को एक नई दिशा देने के लिए स्मृति-ग्रन्थ जैसे महान ग्रन्थ की रचना की। कश्यप.संहिता की रचना करके उन्होंने तीनों लोकों में अमरता हासिल की। कस्पियन सागर व कश्मीर का नामकरण भी उनके नाम पर ही हुआ था। मुख्य अतिथि प्रदेश के राज्यमंत्री नरेंद्र कश्यप ने कहा कि महर्षि कश्यप का नाम महान सप्त ऋषियों में आता है। हम सभी को उनके द्वारा दिखाए मार्ग पर चलकर सभ्य समाज की संरचना में सहयोग देने की जरूरत है, तभी हम भावी पीढ़ी को प्रेरक और अनुकरणीय सीख दे सकते हैं। विधायक अतुल गर्ग, विधायक नंद किशोर गुर्जर, महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा, बलदेव राज शर्मा, उदिता त्यागी, मुकेशानंद गिरि, वी के अग्रवाल आदि भी मौजूद रहे।