मकर संक्रांति:- हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। मकर संक्रांति का त्योहार पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब इस त्योहार को मनाया जाता है। यह त्योहार हर वर्ष जनवरी माह की 13, 14 व 15 तारीख में ही होता है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं।
मकर संक्रांति 2023 शुभ मुहूर्त(Makar Sakranti 2023):-
हर वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है। ऐसे में मकर संक्रांति नए साल में 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी।
पोंगल:-
यह भारतवर्ष तथा नेपाल के सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भाँति-भाँति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है जिसको भारत में अलग अलग राज्यों में अलग अलग नाम से मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं।
लोहड़ी:-
हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में एक दिन पूर्व १३ जनवरी को ही मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से ‘दान का पर्व’ है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने के बाद दान देने की भी परम्परा है। इस दिन गंगा स्नान करके तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है और इस पर्व पर क्षेत्रों में गंगा एवं रामगंगा घाटों पर बड़े-बड़े मेले लगते है। बिहार में मकर संक्रांति को खिचड़ी नाम से जाता हैं। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का अपना महत्त्व है।
गंगा सागर स्नान:-
गंगा सागर स्नान केवल मकर संक्रांति के दौरान किया जाता है और हर साल 14 जनवरी को पड़ता है। उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है। ऐसे में मकर संक्रांति नए साल में 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। इस दिन देश और विदेश के विभिन्न भागों से श्रद्धालु गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सनातन धर्म के प्रत्येक व्यक्ति को एक बार इस स्थान पर गंगा में स्नान करना चाहिए जिससे उसके सभी पापों का नाश हो जाए लेकिन इस दिन अनुष्ठानिक स्नान को करने का विशेष महत्व बताया गया है। गंगा सागर स्नान पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। त्योहार एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इस त्योहार की भावना अपरिवर्तित रहती है।
मकर संक्रांति का ऐतिहासिक महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
मकर संक्रांति के दिन करें ये उपाय
मकर संक्रांति के दिन पानी में काली तिल और गंगाजल मिला कर स्नान करें। इससे सूर्य की कृपा होती है और कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं। ऐसा करने से सूर्य और शनि दोनों की कृपा मिलती है, क्योंकि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर मकर में प्रवेश करते हैं।