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मां छिन्मस्ता अपने साधक को ज्ञान, समृद्धि, विजय, स्वास्थ्य और धन का आशीर्वाद देती हैंः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज

गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में मां छिन्मस्ता की पूजा-अर्चना हुई

गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य व अध्यक्षता में आयोजित गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान के पांचवें दिन सोमवार को मां की पांचवी महाविद्या मां छिन्मस्ता की पूजा-अर्चना की गई। सोमवार का दिन होने और मंदिर में संत सनातन कुंभ के आयोजन के चलते पूजा-अर्चना के लिए कई शहरों से साधक आए और सभी ने महाराजश्री से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद भी लिया। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन मां छिन्मस्ता की पूजा करने का नियम है। तंत्र शास्त्र में देवी छिन्मस्ता की उपासना से समाज में प्रसिद्धि मिलती है । पूर्वी भारत जैसे पश्चिम बंगालए झारखंड और उत्तर प्रदेश और नेपाल में इनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है।

छिन्नमस्ता की पूजा में यदि कोई कमी की जाती है तो वह विपरीत फल देने वाली भी होती है। यही कारण है कि आम लोगो के लिए इनकी साधना को उपयुक्त नहीं माना गया है। देवी छिन्नमस्ता की पूजा करने से मनुष्य को समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है और साथ ही सुख और समृद्धि का वरदान मिलता है। देवी अपने साधक को ज्ञान, समृद्धि, विजय, स्वास्थ्य और धन का आशीर्वाद देती हैं। झारखंड की राजधानी रांची से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर रजरप्पा में छिन्नमस्तिका देवी का मंदिर स्थित है, जिसे विश्व की दूसरी सबसे बड़ी शक्तिपीठ भी कहा जाता है। यहां वर्ष भर भक्तों की भीड लगी रहती है और मां अपने भक्तों पर अपनी कृपा की वर्षा करती हैं।

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