महाराजश्री के पावन सानिध्य व अध्यक्षता में श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में चल रहे गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान के तीसरे दिन मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना के लिए कई शहरों से साधक पहुंचे
गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य व अध्यक्षता में आयोजित गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान के तीसरे दिन शनिवार को मां की तीसरी महाविद्या मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना की गई। पूजा-अर्चना के लिए आए कई शहरों से साधक आए और उन्होंने पूजा-अर्चना के बाद महाराजश्री से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद भी लिया। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि दस महाविद्याओं में तीसरी महाविद्या त्रिपुर सुंदरी हैं। तीनों लोकों में सबसे सुंदर माने जाने के कारण ही उन्हें त्रिपुरी सुंदरी कहा जाता है। 16 कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण मां षोडशी के नाम से भी विख्यात हैं। उन्हें भौतिक संपन्नता और रूप.यौवन प्रदान करने वाली देवी माना जाता है।







ललिता, राजराजेश्वरी, बाला, मीनाक्षी, कामाक्षी, शताक्षी, कामेश्वरी आदि नामों से भी जाना जाता है। इन्हें मुक्ति की देवी भी कहा जाता है और इनकी साधना से सुख के साथ मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। ये श्रीविद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी साधना से भौतिक संपन्नता, रूप-यौवन की प्राप्ति होती है। इन्हें मां पार्वती का प्रतिनिधित्व करने वाली देवी भी कहा जाता है। मां लाल वस्त्र पहनकर कमल पर विराजमान रहती हैं। इनकी पूजा समृद्धि व यश प्राप्ति के लिए की जाती है।

सीतापुर के नैमिषारण्य में स्थित ललिता देवी मंदिर वहीं मंदिर कहलाता है, जहां मां सती का ह्रदय यानि दिल गिरा था। नैमिषारण्य तीर्थ ऋषि मुनियों की तपोभूमि माना जाता है। इस स्थान पर एक चक्र तीर्थ भी है। मान्यताओं के मुताबिक इस चक्र तीर्थ में भगवान विष्णु का चक्र गिरा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार चक्र तीर्थ में स्नान करने वाले मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। नेमिषारण्य में ही माता ललिता देवी का प्रसिद्ध धाम है। इस मंदिर की एक खास बात ये भी है कि यहां जो भी मां का भक्त अपने मन में सच्ची श्रद्धा भाव से आता है वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता है और मां उसकी सभी मन्नते ज़रूर पूरी करती हैं।