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सनातन धर्म में नरक निवारण चतुर्दशी का महत्व

।।ॐ श्री दुधेश्वराय नम:।।

माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक निवारण चतुर्दशी(Narak Nivaran Chaturdashi) कहा जाता है । पुराणो के अनुसार इस दिन प्रदोश (सांय काल) भगवान शिव के पूजन को विशेस महत्व दिया गया है । पुराणों के अनुसार इस तिथि पर शंकर भगवान की पूजा करने से सभी पापो का नाश होता है और मनुष्य को नरक के बंधन से मुक्ति मिलति है ।इसलिए इस व्रत को नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है ।

पुराणों के अनुसार शंकर भगवान की पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है। स्वर्ग-नरक के फेर से मुक्ति मिलती है। इस दिन शिव का ध्यान करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इस व्रत में बेर का प्रसाद अर्पित करने का विधान है।

नरक निवारण चतुर्दशी – 10 Feb 2021

शास्त्रों के अनुसार:-

इस दिन पार्वती माता और भगवान शिव का विवाह तय हुआ था। इस तिथि के ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ समपन्न हुआ था। इसलिए यह दिन खास महत्व रखता है। वैसे तो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ है लेकिन शास्त्रों के अनुसार माघ और फाल्गुन माह की चतुर्दशी शंकर भगवान को सर्वप्रिय है। जिस कारण इन दोनों ही तिथियों को शिवरात्रि के समकक्ष ही माना जाता है। इस दिन शिव ही नहीं शिव के साथ पार्वती और गणेश की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।हिंदू धर्म के अनुसार, मृत्यु के बाद अपने कर्मों के हिसाब से स्वर्ग और नरक की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार जहां स्वर्ग में मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है वहीं नरक में अपने बुरे कामों के फलस्वरुप कष्ट झेलने पड़ते हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए यह तिथि विशेष है।

इसलिए इसे नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है।

विधि विधान से पूजा:-

इस दिन विधि विधान से पूजा करके नरक से मुक्ति मिलती है।इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, बिल्वपत्र और बेर जरुर चढ़ाना चाहिए। अगर उपवास करें तो व्रत को बेर खाकर तोड़ना चाहिए। साथ ही इस दिन रुद्राभिषेक करने से मिलने वाला फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन ब्राह्मण को घी और शहद का दान करने से रोगों से छुटाकारा मिलता है। किसी के घर में कोई रोगी है तो वह इस अवसर पर यह उपाय कर सकते हैं।नरक से मुक्ति दिलाती है

नरक निवारण चतुर्दशी का महत्व:-

नरक निवारण चतुर्दशी के दिन लोग सुबह 4 बजे उठकर स्नान कर शिलिंग पर जल अर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन भगवान शिव का अराधना से सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं और नरक जाने से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह तय हुआ था। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है।

चतुर्दशी के अवसर पर विभिन्न मंदिरों में जलाभिषेक और पूजा अर्चना कर लोग उपवास रखते हैं। इस दिन लोग गंगा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन पूरे दिन निराहार रहा जाता है और शाम को व्रत खोला जाता है।

इस युग में न चाहते हुए भी न जाने हम सभी से कितने ही गलत कर्म हो जाते है कुछ जानकर कुछ अनजाने में इसलिए इसके दुप्रभाव से बचने के लिये और भगवान की कृपा के लिए नरक निवारण चतुर्दशी के दिन उपवास और शिव जी की पूजा अर्चन की जाती है।

।।ॐ श्री दुधेश्वराय नम:।।

2 Comments

  • नारायण दत्त जोशी
    February 10, 2021

    सत्य बात है गुरुदेव

    • February 12, 2021

      !! ॐ श्री दुधेश्वराय नम: !! 🙏

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