Back to all Post

नवरात्र में ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे महामंत्र का जाप करने से ही कल्याण हो जाएगाः श्रीमहंत नारायण गिरि

इस मन्त्र के जाप से महासरस्वती, महालक्ष्मी तथा महाकाली की कृपा प्राप्त होती है इस बार देशवासी शक्ति उपासना समाज व राष्ट्र हित के लिए समर्पित करें गाजियाबादः श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने सभी देशवासियों को नवरात्र पर्व की बधाई व शुभकामनाएं दीं। साथ ही मां से सभी के खुशहाल जीवन व अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना की।

चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल:-

चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं और इसका समापन 17 अप्रैल को महानवमी के साथ होगा. चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित है. हिंदू पंचांग के अनुसार 9 अप्रैल, मंगलवार से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले कलश स्थापना की जाती है. श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि देवी की उपासना करने का मतलब शक्ति अर्जन करना है ताकि हमारा मानसिक संतुलन बना रहे और हमारे जीवन के सभी कष्ट व बाधाएं दूर होती हैं। महाराजश्री ने कहा कि वैसे तो नवरात्र पर्व में दुर्गा सप्तशती पाठ, कवच, शतचंडी पाठ व हवन आदि का आयोजन होता है, मगर ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे महामंत्र ऐसा है, जिसका सच्चे नाम से उच्चारण करने मात्र से ही मां की कृपा प्रापत हो जाती है।

जगत पालनहार है मां
मुक्ति का धाम है मां,
हमारी भक्ति का आधार है मां
सबकी रक्षा की अवतार है मां,
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं.

नवार्ण मंत्र:-

इस मन्त्र को नवार्ण मंत्र भी कहा जाता है। इस मन्त्र के जाप से महासरस्वती, महाकाली तथा महालक्ष्मी माता की कृपा तथा आशीर्वाद प्राप्त होता है। ॐ – उस परब्रह्म का सूचक है जिससे यह समस्त जगत व्याप्त हो रहा है। ऐं – यह वाणी, ऐश्वर्यए बुद्धि तथा ज्ञान प्रदात्री माता सरस्वती का बीज मन्त्र है। ह्रीं – यह ऐश्वर्य, धन, माया प्रदान करने वाली माता महालक्ष्मी का बीज मंत्र है। क्लीं- यह शत्रुनाशक, दुर्गति नाशिनी महाकाली का बीज मन्त्र है। चामुण्डायै – चण्ड व मुण्ड की संहारक शक्ति का नाम ही चामुण्डा है, जो स्वयं प्रकाशमान है। विच्चे – विच्चे का अर्थ समर्पण या नमस्कार है। इस प्रकार सम्पूर्ण मन्त्र का अर्थ संसार के आधार परब्रह्म, ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती, सम्पूर्ण संकल्पों की अधिष्ठात्री देवी महामक्ष्मी, सम्पूर्ण कर्मों की स्वामिनी महाकाली तथा काम और क्रोध का विनाश करनी वाली सच्चिदानंद अभिन्नरूपा चामुण्डा को नमस्कार है, पूर्ण समर्पण है। बहुत से विद्वान मंत्र में ॐ ना बोलने के लिए कहते हैं।

उनका कहना है कि ॐ के बिना यह नौ शब्दों का मंत्र होता है और ये शब्द का मंत्र सभी नौ देवियों का ही स्वरूप है। महाराजश्री ने कहा कि वे इस बार सात स्थानांे पर होने वाली मां की उपासना व अनुष्ठान में शामिल होंगे। प्राचीन त्रिपुर बाला सुंदरी मंदिर दिल्ली गेट, में। सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर व सिद्धेश्वर महादेव कुटी पाइप लाइन रोड मकरेड़ा गाजियाबाद के अलावा राजस्थान के जसौल धाम रानी भटियाणी मंदिर, जसौलगढ, शिव तालाब व पालिया तिलवाडा में शतचंडी अनुष्ठान में भी शामिल होंगे। साथ ही राजस्थान में 12 दिन की राष्ट्र विजय उपासना यात्रा भी करेंगे। उन्होंने सभी देशवासियों से भी अपील की कि वे इस बार अपने साथ भारत व विश्व की मंगल कामना के साथ मां की उपासना करें। अपनी उपासना को समाज व राष्ट्र हित मेंसमर्पित करें जिससे वैदिक सनातन धर्म पूरे विश्व में स्थापित हो और हमारा देश पुनः विश्व गुरू बन सकें।

Add Your Comment