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द्वादश माधव में प्रथम नगर देवता वेणीमाधव मन्दिर प्रयागराज के उत्तराधिकारी के विवाद-माधव मठ मन्दिर

।।श्रीदत्तात्रेयोविजयतेतराम् ।।
द्वादश माधव में प्रथम नगर देवता वेणीमाधव मन्दिर प्रयागराज के उत्तराधिकारी के विवाद पर मंगलवार को शाम एस एस पी अजय कुमार जी  ने दोनों पक्षों को तलब किया इस दौरान वेणी माधव मठ मन्दिर के उत्तराधिकारी का दावा करने वाले महानिर्वाणी अखाड़े के सन्तों ने मठ के स्वामित्व के कोई कागजात नहीं प्रस्तुत किये ,जबकि मठ कि महन्त श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर साध्वी वैभव गिरि जी ने वेणीमाधव के स्वामित्व होने के सारे कागजात एस एसपी के समक्ष प्रस्तुत किये ,

एस एस पी ने पुलिस लाइन सभागार में दोनों पक्षों से वार्ता किया ,महन्त वैभव गिरि जी की ओर से सेवानिवृत्त पी सी एस अधिकारी मुन्नीलाल पाण्डेय व‌ देशराज चौधरी ने स्वामित्व एवं मठ की परम्परा का पक्ष रखा ,साध्वी महन्त वैभव गिरि जी ने बताया कि वर्तमान में वो एम एन एन आई टी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सेवा कर रही है , वेणीमाधव मठ के पूर्व महन्त ओंकार देव गिरि जी की वो पुत्री है एवं 2007 में दीक्षा लेकर साध्वी बन गई थी ,2013 में महन्त ओंकार देवगिरि जी जूना अखाड़ा की परम्परा में शामिल हो गये थे , तदोपरान्त कुम्भ मेला के अवसर पर ब्रह्मलीन महन्त ओंकार देवगिरि जी एवं महन्त‌ साध्वी वैभव गिरि जी को जूना अखाड़ा ने महामण्डलेश्वर नियुक्ति किया था ,5 मई 2020 को महन्त ओंकार देवगिरि जी के ब्रह्मलीन होने के उपरांत श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा की परम्परा से वेणी माधव मठ का महन्त साध्वी वैभव गिरि जी को नियुक्त किया गया था ,इस लिये जो महानिर्वाणी अखाड़ा दावा पेश कर रहे थे वो झूठ था वेणीमाधव मठ जूना अखाड़ा की परम्परा एवं उसका स्वामीत्व जूना अखाड़ा है ,

श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा उनके संरक्षण में ब्रह्मलीन श्रीमहन्त ओंकार देव गिरि जी ने श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा को सौंपा था ,श्रीमहन्त हरि गिरि जी ने उनके शिष्या साध्वी श्रीमहन्त वैभव गिरि जी को  वेणीमाधव मठ मन्दिर का गादीपति नियुक्त किया , महानिर्वाणी अखाड़ा समय समय पर कुछ साजिश करता रहता है ,वो निन्दनीय है वेणीमाधव मठ का स्वामित्व जूना अखाड़ा ही रहेगा ,जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय सभापति अध्यक्ष श्रीमहन्त प्रेम गिरि जी महाराज ने कहा कि जूना अखाड़ा सभी अखाड़ो‌ समभाव रूप से देखता है क्योंकि सन्यासी अखाड़ों में गिरि पुरी भारती सरस्वती होते हैं जिस अखाडे ने जिसको‌ वसीहत लिख दी ,वो उस अखाड़े का होता है भारत के संविधान को‌ मानते हुये, ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर ओंकार देव गिरि जी ने जूना अखाड़ा को वेणी माधव मठ मन्दिर की वसिहत लिख‌दी जी उसके आधार पर ,उनके ब्रह्मलीन होने पर उनकी पुत्री शिष्या जूना अखाड़े के महामंण्डलेश्वर साध्वी वैभव गिरि जी को उत्तराधिकारी नियुक्त किया है ,इसमें महानिर्वाणी अखाड़े को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए , क्योंकि दशनामी सन्यासी परम्परा में भारतवर्ष में किसी स्थान को किसी भी अखाड़ों को कोई भी वसीहत लिख देता है तो वो अखाड़ा उस स्थान का स्वामी होता है ,

हमारे पास सारे कागजात है इसलिए महानिर्वाणी अखाड़े का कोई अधिकार नहीं है ,हमारे महामण्डलेश्वर वेणीमाधव के महन्त साध्वी वैभव गिरि जी का मानसिक उत्पिडन करना कोई उपद्रव या साजिश करना निन्दनीय है , जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज ने बताया है कि इस प्रकार कृत्य पूर्णतया निन्दनीय है‌,समाज में निचता का कार्य है ,हम जूना अखाड़ा के समस्त सन्त महन्तो से आग्रह करते हैं कि किसी भी प्रकार का कानून को हाथ में ना लेते हुये ,हम जिला प्रशासन पुलिस प्रसासन के पास अपना पक्ष रख दिये है ,प्रसासन  ने मान लिया है कि वेणी माधव मठ मन्दिर जूना अखाड़े का है ,कोई गुंडागर्दी नहीं चलेगी , उपद्रव करने‌ वालों को बख्शा नहीं जायेगा ,जो साजिश या उपद्रव करते हैं तो उनको पुलिस करवाई करते हुये जेल भेज दिया जायेगा ,साध्वी वैभव गिरि जी महाराज वेणीमाधव मन्दिर के गादीपति है और रहेंगे , जूना अखाड़ा उनके साथ हैं ,हमें कानून हाथ में ना लेते हुये कानूनी कार्रवाई करनी है ,एवं श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज के निर्देशानुसार सभी सन्तो को पालन करना है ।
         हर हर महादेव

1 Comment

  • Bhai king
    January 23, 2022

    Jai hind jai bharat

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