वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण ने पूरे विश्व को प्रभावित कियाः वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज
वाल्मीकि रामायण ने भगवान राम को हम सबके रोम-रोम में बसा दिया हैः श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज
गाजियाबाद
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में 10 दिवसीय संत सनातन कुंभ में आयोजित वाल्मीकि रामायण राम कथा में तीसरे दिन बुधवार को राम कथा का आनंद लेने के लिए शहर भर से श्रद्धालु पहुंचे। राम भजनों ने श्रद्धालुआंे को झूमने पर मजबूर कर दिया। वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज ने कहा कि आदिकवि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण एक ऐसा महाकाव्य है, जिसने न केवल भारत वरन् संपूर्ण संसार को प्रभावित किया है यह अब केवल धार्मिक अथवा भारतीय महाकाव्य ही नहीं रह गया है, बल्कि संपूर्ण संसार की कृति के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। इस ग्रंथ के शाश्वत मूल्य सभी पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ते हैं और राम के समान जीवन जीने के लिए प्रेरित भी करते हैं। ज्ञान, विद्या, कर्तव्य,व्यवहार, नीति, राजनीति, निःस्वार्थ कर्म, परहित, मित्रता, बंधुत्व, त्याग, बलिदान, प्रशासन, धर्म, भक्ति, मुक्ति आदि की शिक्षा इस ग्रंथ से स्वतः ही मिल जाती है।
मुख्य अतिथि जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी महाराज ने कहा महर्षि वाल्मीकि ने वाल्मीकि रामायण के माध्यम सेे वेदों व उपनिषदों में वर्णित सर्वोच्च मानव संस्कृति के शाश्वत और स्वर्णिम तत्वों को इस प्रकार एक माला में पिरोकर प्रस्तुत किया है, जो जितना प्राचीन होता है, उतनी ही नवीनता उसमेंआती जाती है। यह महाकाव्य मानवीयहोते हुए भी दिव्य है और समूची मानव-संस्कृति ही इस एक महाकाव्य में उद्बोधित हो गई है। हजारों-लाखों वर्षो से जितना लौकिक व पारलौकिक कल्याण रामायण ने किया है, उतना किसी अन्य ग्रंथ ने नहीं किया। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि रामायण संस्कृत महाकाव्य है जिसकी रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी।
हिंदू धर्म में रामायण का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस ग्रंथ में हम सबको रिश्तो के कर्तव्यों को समझाया गया है। रामायण महाकाव्य में एक आदर्श पिता, आदर्श पुत्र, आदर्श पत्नी, आदर्श भाई, आदर्श मित्र, आदर्श सेवक और आदर्श राजा का जो चित्रण किया गया है, वह अनादि काल से ही सम्पूर्ण विश्व का कल्याण करता आ रहा है। भारत ही नहीं पूरे विश्व को इस महाकाव्य ने जिस प्रकार प्रभावित किया, वैसा कोई दूसरा ग्रंथ नहीं कर पाया। भगवान विष्णु के रामावतार को हम सभी के रोम-रोम में बसाने वाला महाकाव्य रामायण ही है। श्रीमहत कन्हैया गिरी महाराज, स्वामी रमेशानंद गिरी महाराज, महंत गिरीशानंद गिरी महाराज, महंत मुकेशानंद गिरी महाराज, महंत विजय गिरी महाराज, महंत कमल गिरी महाराज आदि भी मौजूद रहे।