कामासुर राक्षस को पराजित करने के लिए भगवान गणेश ने विकट अवतार लिया थाः श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज
गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में आयोजित 11 दिवसीय श्री दूधेश्वर गणपति लडडू महोत्सव के चौथे दिन मंगलवार को भगवान गणेश के विकट स्वरूप की पूजा-अर्चना हुई। पूजा.अर्चना करने के लिए मंदिर में भक्तों की भीड लगी रही। भक्तों ने मंदिर में भगवान गणेश के चौथे अवतार विकट की पूजा कर उनसे विकट परिस्थतियों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने जलंधर नाम के राक्षस के विनाश के लिए उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया था, जिससे एक दैत्य उत्पन्न हुआ। उसका नाम था कामासुर। कामासुर ने शिव की आराधना करके त्रिलोक विजय का वरदान पा लिया। इसके बाद उसने देवताओं पर अत्याचार करने शुरू कर दिए।
विकटो नाम विख्यातः कामासुर्विदाहकः ।
मयुरवाहनश्चायं सौरब्रह्मधरः स्मृतः ॥
तब सारे देवताओं ने भगवान गणेश का ध्यान किया। भगवान गणपति ने विकट रूप में अवतार लिया। विकट रूप में भगवान मोर पर विराजित होकर अवतरित हुए। उन्होंने कामासुर को पराजित कर देवताओं को अभय वरदान प्रदान किया। उन्होंने कहा कि भगवान गणेश के विकट रूप की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है।
विकट से किट परिस्थितियों व दुख-कष्टांें से मुक्ति मिलती है। भगवान गणेश को मोदक के साथ लाल सिंदूर भी बहुत प्रिय है। अतः भगवान गणेशकी कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और अपने माथे पर भी तिलक करें। इससे माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में कभी भी धन-घान्य व सुख-समृद्वि की कमी नहीं रहती है।