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सावन के अंतिम सोमवार को सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में उमड़ेगा भक्तों का सैलाब-श्रीमहंत नारायण गिरी

श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता में जलाभिषेक के लिए विशेष तैयारियां की गई हैं
महाराजश्री बोले, सावन के अंतिम सोमवार को भगवान दूधेश्वर के जलाभिषेक से पूरे सावन मास व सावन के सभी सोमवार के जलाभिषेक का पुण्य प्राप्त होगा
गाजियाबादः
सावन मास समापन की ओर है। कल सावन मास का अंतिम सोमवार है और सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में सावन के अंतिम सोमवार को भक्तों की भीड़ उमड़ेगा। देश भर के भक्तों भगवान दूधेश्वर नाथ का दर्शन.पूजन कर उनका गंगाजल से अभिषेक करेंगे। जलाभिषेे के दौरान भक्तों को कोई परेशानी ना हो, इसके लिए मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता व मार्गदर्शन में विशेष तैयारियां की गई हैं। जिला.पुलिस प्रशासन व नगर निगम के साथ मंदिर के स्वयंसेवक भी व्यवस्थाओं में पूर्ण सहयोग देंगे। मंदिर के मीडिया प्रभारी एस आर सुथार ने बताया कि सावन के अंतिम सोमवार भगवान दूधेश्वर नाथ के जलाभिषेक हेतु मंदिर में देश भर से भक्त पहुंचेंगे। इस बार भीड सावन के तीनों सोमवार की अपेक्षा और अधिक रहेगी। इसी के चलते मंदिर में इस बार खास तैयारियां की गई। रात्रि 10 बजे से भक्तों की कतारें लग जाएंगी। सबसे पहले श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज पूजा.अर्चना कर भगवान दूधेश्वर का अभिषेक करेंगेए उसके बाद रात्रि 12 बजे के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। रात्रि 3 बजे भगवान का भव्य श्रृंगार होगा।

सावन का अंतिम सोमवार बहुत ही खास है

प्राचीन देवी मंदिर द्वारका पुरी दिल्ली गेट के महंत गिरिशानंद गिरि महाराज ने धूप आरती व दीप आरती करेंगे व भगवान को छप्पन भोग लगाया जाएगा। सांय 7 बजे भी भगवान का भव्य श्रृंगारए अभिषेकए आरती होगी और छप्पन भोग लगाया जाएगा। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि सावन का अंतिम सोमवार उन भक्तों के लिए भगवान दूधेश्वर की पूजा का स्वर्णिम अवसर है, जो किसी कारणवश सावन माह या सावन के सोमवार को उनका दर्शन.पूजन नहीं कर पाए। अंतिम सोमवार को भगवान दूधेश्वर की पूजा.अर्चना व जलाभिषेक पूरे सावन माह व सभी सोमवार के फल की प्राप्ति होगी। स्वार्थ सिद्धि योग, ब्रहम योग, इंद्र योग, अनुराधा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र जैसे शुभ संयोग के चलते सावन का अंतिम सोमवार और भी खास हो गया है। सबसे विशेष बात यह होगी कि 4 अगस्त को सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत प्रातः 11 बजकर 41 मिनट से शुरू हो जाएगी और इसका समापन 5 अगस्त को दोपहर 1ण्13 बजे तक रहेगी। ऐसे में एकादशी तिथि भी रहेगी जिससे भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होगीए हालांकि सूर्योदय कालीन एकादशी होने की वजह से एकादशी व्रत 5 अगस्त को रखा जाएगा। महाराजश्री ने कहा कि ऐसी कन्याएं जिनका विवाह नहीं हो पा रहा है, वे सावन के अंतिम सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें और दूध, दही, गंगाजल, शहद आदि से भगवान का अभिषेक करें, उन्हें योग्य जीवन साथी की प्राप्ति होगी। इसके अलावा जिस मनोकामना के साथ सावन के अंतिम सोमवार को भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना की जाएगी, वह अवश्य पूर्ण होगी।

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