जसोलः
श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान जसोलधाम में चैत्र नवरात्रि पर्व की सप्तमी तिथि पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष व श्री दूधेश्वर महादेव मंदिर गाजियाबाद पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण महाराज के पावन सानिध्य में संस्थान अध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल द्वारा मां जसोल के असंख्य भक्तों की सम्पूर्ण मनोकामना पूर्ति हेतु संकल्प के साथ मां कालरात्रि की विधिपूर्वक विशेष पूजा-अर्चना की गई। यह विशेष पूजा अर्चना, दुर्गा सप्तशती एवं दुर्गा चालीसा का पाठ श्री वेद चिद्यापीठ गाजियाबाद के विद्वान आचार्यों एवं पंडितों ने कराया।
अन्नपूर्णा प्रसादम एवं छप्पन भोग का आयोजन:-
चैत्र नवरात्रि पावन पर्व के उपलक्ष्य में सप्तमी तिथि के शुभ अवसर पर भोजन प्रसादी ;अन्नपूर्णा प्रसादम का लाभ मूलचंद चांडक एवं उनके परिवार ;निवासी. जांगलू बीकानेर हाल निवास, सूरत ने लिया। वहीं छप्पन भोग प्रसाद का लाभ कांतिचंद कलंत्री एवं उनके परिवार ;निवासी. फलौदी हाल निवास.सूरत ने लिया। दोनों लाभार्थी परिवारों ने प्रसाद का भोग श्री राणीसा भटियाणीसा, श्री बायोसा, श्री सवाई सिंह, लाल बन्ना, खेतलाजी, काला.गौरा भैरूजी को अर्पित कर अपने परिवार सहित मां जसोल के समस्त भक्तों के जीवन में खुशहाली हेतु मंगल कामनाएं की।










कन्या पूजन, प्रसाद वितरण एवं दक्षिणा:-
सप्तमी तिथि के शुभ एवं पावन अवसर पर अन्नपूर्णा प्रसादम एवं छप्पन भोग लाभार्थी परिवारों ने जसोल ग्राम सर्व समाज की कन्याओं एवं बटुकों का पारंपरिक रीति-रिवाज से विधिपूर्वक पूजन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। लाभार्थी परिवारों ने कन्याओं एवं बटुकों को फल प्रसादम एवं अन्न प्रसादम अर्पित कर दक्षिणा भेंट की।




श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज के आशीर्वचन:-
श्रीमींत नारायण गिरी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि मां दुर्गा का सांतवां रूप मां कालरात्रि का है। नवरात्रि के सांतवें दिन जिसे महासप्तमी भी कहा जाता है, उस दिन मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कालरात्रि को दुष्टों का विनाश करने वाली देवी माना जाता है। सप्तमी को भक्त मां कालरात्रि की पूजा कर उनसे अपने जीवन से सभी बुराइयों को दूर करने की कामना करते हैं। मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों के जीवन से सभी बुराइयां दूर हो जाती हैं।
भक्तों को शत्रुओं, भय और डर से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि को गुड़ बहुत प्रिय होने के कारण उन्हें गुड़ और इससे बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। मां कालरात्रि को गुड़ से बनी मिठाइयां जैसे गुड़ की चिक्की, गुड़ का हलवाए या गुड़ से बनी खीर का भोग लगाया जा सकता है। मालपुआ भी मां कालरात्रि का प्रिय भोग है। मां कालरात्रि को शहद का भोग व फलों में केला, नारियल, और अनार का भोग लगाना चाहिए।
मां कालरात्रि का स्वरूप:-
मां कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही भयंकर है। उनका रंग काला है, उनके बाल बिखरे हुए हैं और उनकी चार भुजाएं हैं। उनके एक हाथ में तलवार है तो दूसरे हाथ में लौह अस्त्र है। तीसरा हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा हाथ वरद मुद्रा में है। मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ है। मां ने वस्त्र स्वरूप में लाल वस्त्र और बाघ के चमड़े को धारण किया हुआ है।