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पंचकोसी परिक्रमा के तीसरे दिन अनेक प्राचीन मंदिरों का दर्शन पूजन किया गया


परिक्रमा में शामिल साधु.संतों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं की लगी रही भीड़
प्रयागराजः

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता व नेतृत्व में शनिवार को तीसरे दिन की पंचकोसी परिक्रमा का आयोजन किया गया। पंचकोसी परिक्रमा संगम स्नान.पूजन से शुरू हुई। परिक्रमा के तीसरे दिन भी अनेक प्राचीन व सिद्धपीठ मंदिरों का दर्शन पूजन किया गया। सबसे पहले यमुनापार ग्राम लालापुर स्थित प्राचीन मनकामेश्वर महादेव जी का दर्शन व पूजन किया गया। उसके बाद ग्राम बीकर में भगवान विष्णु के स्वरूप श्री पद्म माधव जी का दर्शन व पूजन कर उनसे सभी पर अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना की गई। ग्राम देवरिया स्थित सुजावन देव मंदिर में दर्शन व पूजन किया गया।

ग्राम पनासा में पर्णास मुनि के आश्रम में महर्षि वाल्मीकि, पर्णास ऋषि व ज्वाला देवी का दर्शन.पूजन करते हुए परिक्रमा में शामिल संत व श्रद्धालु वापस संगम आए और आचमन व प्रार्थना के साथ तीसरे दिन की परिक्रमा का संगम स्थित श्री दत्तात्रेय शिविर में विश्राम हुआ। परिक्रमा का जगह.जगह स्वागत किया गया और संतों का आशीर्वाद लिया गया। जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रनन्द सरस्वती महाराज सुमेरुपीठ काशी ने कहा कि पंचकोसी परिक्रमा अवश्च करनी चाहिए क्योंकि इस परिक्रमा को लगाने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। विशेष पुण्य फल के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि प्रयागराज आने वाले तीर्थयात्रियों को संगम में स्नान करने के बाद पंचकोसी परिक्रमा करने का विधान है। परिक्रमा करने का जातक को विशेष फल मिलता है।

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने कहा कि तीर्थराज में पंचकोसी परिक्रमा विशेष फलदायी है। पौराणिक मान्यता है कि पंचकोसी परिक्रमा करने से तीर्थराज के साथ ही सभी देवी.देवताओं, ऋषियों, सिद्धों और नागों के दर्शन का पुण्य फल एक साथ मिल जाता है। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि प्रयागराज की पंचकोसी हर प्रकार के कष्टों को दूर करने वाली है। परिक्रमा में प्रयागराज के द्वादश माधव सहित समस्त तीर्थस्थलों के दर्शन करने का पुण्य प्राप्त होता है। यही कारण है कि हर वर्ष पंचकोसी परिक्रमा में देश ही नहीं पूरे विश्व से साधु.संत ही नहीं हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं और पुण्य लाभ कमाते हैं।

अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि पंचकोसी परिक्रमा का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। यह परिक्रमा भव सागर से पार उतारने वाली है। हिमालय पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर वीरेंद्रानंद गिरि, सलाहकार मुन्नी लाल पांडे, महामंडलेश्वर मोहननंद यती गोरख बाबा, लक्ष्मी कांत त्रिपाठी, थानापति महंत कैलाश गिरि महाराज, महंत शंकर गिरि महाराज, जूना अखाडे के मंहत पवन गिरि महाराज, थानापति आदित्य गिरि महाराज, स्वामी कृष्णानंद गिरि महाराज, साध्वी सुमन गिरि पंजाब, वरिष्ठ पत्रकार पी एन द्विवेदी, माघ मेला कैंप दत्तात्रेय सेवा समिति संगम धीरेंद्र कुमार द्विवेदी, दिलीप गोस्वामी, नीलू गोस्वामी, धीरज द्विवेदी अमृत ​​कलश टाइम्स प्रयागराज आदि ने भी परिक्रमा में भाग लिया व संगम स्नान. पूजन किया।

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