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पोष पूर्णिमा पर श्रीमहंत हरि गिरि महाराज, श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज व श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने संगम स्नान कर वेणी माधव मंदिर में पूजा-अर्चना की

वेणी माधव मंदिर से निकली शोभा-यात्रा में सबसे आगे रथ पर श्रीमहंत नारायण गिरि विराजमान थे
शोभा-यात्रा के बाद भगवान वेणी माधव की महाआरती हुई

प्रयागराजः
पोष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज, जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज व श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने गुरूवार को संगम स्नान पूजन किया। हुनमान महाराज के दर्शन के बाद प्रयागराज के विश्व प्रसिद्ध वेणी माधव मंदिर के दर्शन किए और नगर देवता व नगर रक्षक भगवान वेणी माधव की पूजा-अर्चना की। पूजा-अर्चना के बाद पाठ हुआ। श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि वेणी माधव भगवान संगम के देवता व रक्षक दोनों हैं। संगम स्नान के बाद उनकी पूजा-अर्चना करने से हर प्रकार का कष्ट दूर होता है।

भगवान वेणी माधव:-

श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने कहा कि भगवान वेणी माधव के दर्शन के बिना संगम स्नान फल नहीं मिलता है। अतः संगम स्नान के बाद उनका दर्शन-पूजन अवश्य करना चाहिए। मंदिर से प्रातः 11 बजे शोभा-यात्रा का शुभारंभ हुआ जिसमें सबसे आगे रथ पर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज व महामंडलेश्वर मोनानंद यति गोरख बाबा सवार थे। उसके बाद भगवान वेणी माधव का रथ व सबसे अंत में वेणी माधव मंदिर के ब्रहमलीन महंत श्री श्री 1008 परिव्राजक महामंडलेश्वर औंकार देव महाराज की मूर्ति का रथ था। देश के विभिन्न राज्यों के वादक, बैंड आदि के अलावा देश भर से साधु-संत व श्रद्धालु भी शोभा-यात्रा में शामिल थे। शोभा-यात्रा ने पूरे नगर का भ्रमण किया व जगह-जगह उसका स्वागत किया गया। शोभा-यात्रा ने सायं 6 बजे मंदिर पर ही विश्राम लिया। रात्रि 8 बजे भगवान वेणी माधव की महाआरती हुई जिसमें हजारों भक्तों ने भाग लिया। इस अवसर पर श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि वेणी माधव की महिमा अपंरंपार है।

उनकी पूजा-अर्चना हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति दिलाती है और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। भगवान वेणी माधव का माघ मेले से नाता उतना ही पुराना है, जितना प्राचीन माघ मेले का इतिहास है। सृष्टि का पहला यज्ञ प्रयाग में ही हुआ था। सब देवता, दानव, यक्ष, मानव यहां स्नान के लिए आने लगे तो तब ब्रह्मा जी ने सृष्टि के पालनकर्ता विष्णु जी से प्रार्थना की कि वे यहां इस क्षेत्र में मेले की रक्षा करें। विष्णु भगवान यहां द्वादश माधव के रूप में स्थापित हो गए और तभी से द्वादश रूप में विराजमान हैं। इनमें वेणी माधव प्रमुख हैं। साल में एक बार द्वादश माधव यात्रा निकाली जाती है। माघ मेले की शुरुआत में वेणी माधव के स्वरूप को नगर भ्रमण कराया जाता है।

उसके बाद से पूरे माघ मेले के दौरान वेणी माधव माघ मेले में ही विचरण करते रहते हैं और माघ मेले की रक्षा करते हैं। दंडीवाडा के अध्यक्ष स्वामी महेश आश्रम महाराज, सचिव सहदेवानंद गिरि महाराज, हरिशंकर गिरि महाराज, मुन्नी लाल पांडे, महामंडलेश्वर मोनानंद यति गोरख बाबा महामंडलेश्वर प्रीति गिरि, महामंडलेश्वर भवानीनंद गिरि, माधवेंद्र महाराज, महामंडलेश्वर शारदानंद गिरि महाराज, रमेश गिरि महाराज, मुन्नी लाल पांडे, केपी सिंह समेत बडी संख्या महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत तथा साधु-संत आदि भी मौजूद रहे। वेणी माधव के वर्तमान महंत महामडलेश्वर डॉ वैभव गिरि महाराज ने शोभा-यात्रा का नेतृत्व किया व सभी का स्वागत किया।

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