!! श्रीदत्तात्रेयोविजयतेतराम्!!
प्रयागराज पंचकोसी यात्रा 27 January श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नेतृत्व मे प्रारम्भ हुई ,जिसमें
- प्रातः काल त्रिवेणी संगम पूजन किया गया ,
- अक्षय वट दर्शन ,लेटे हनुमान जी दर्शन पूजन ,
- सरस्वती कूप (सरस्वती नदी की धारा)के दर्शन ,
- प्राचीन राम जानकी मन्दिर में दर्शन ,
- जूना अखाड़ा घाट मां यमुना के दर्शन अचमान,
- सिद्ध बाबा मौज गिरि जी स्थान भगवान दत्तात्रेय की तपोस्थली श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा में मध्यान्ह प्रसाद ,
- तदोपरान्त श्रीपर्णास मुनी आश्रम में दर्शन पूजन
श्रीपर्णास मुनी आश्रम:-.
“द्वापर युग में महाराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में हवन के लिये प्रचुर मात्रा में जौ पर्णास मुनी ने महाबली भीम के मांगने पर दिया था पौराणिक कथा के अनुसार इसी आश्रम में महर्षि वाल्मीकि जी भी रहे और रामायण के कुछ प्रसंगो की रचना की”प्राचीन मठ सोमेश्वर महादेव मन्दिर में अभिषेक पूजन किया ,
आदि माधव मन्दिर में दर्शन :-नगर देवता द्वादश माधव जी में प्रथम पीठ के रूप में स्थित आदिमाधव मन्दिर , सृष्टि संरचना के समय ब्रह्मा जी के अनुरोध पर ब्रह्माण्ड के प्रथम आदि पुरूष भगवान श्री लक्ष्मी नारायण जी का प्राकट्य स्थान रह है जो कि त्रिवेणी के दक्षिण भाग में स्थित है जिनके प्रदक्षिणा मात्र से जीव को चराचर ब्रह्माण्ड की प्रदक्षिणा का फल प्राप्त होता है “चक्र माधव मन्दिर दर्शन पूजन ,”चक्र माधव भगवान संगम अग्नि कोण में विराजमान हैं कहा जाता है कि इसी गांव में अग्नि देव का आश्रय था इन महाप्रभु का नाम चक्रमाधव इसलिए पड़ा कि मनुष्यों के ऊपर आने वाली समस्त आपत्तियों का चक्र द्वारा उद्धार करते थे ,इनके पूजन एवं दर्शन से मनुष्यों की चौदहो महाविद्याएं सिद्ध हो जाती है “
शूल टंकेश्वर महादेव में पूजन दर्शन:-
शूल टंकेश्वर महादेव में पूजन दर्शन “:-ब्रिटिश संग्रहालय में बुंदेलखंड से प्राप्त 12 वी शताब्दी के प्रयाग पत्र के अनुसार प्रयाग वट वृक्ष के नीचे स्थित त्रिशूलयुक्त शिवलिंग शूल टंकेश्वर कहलाये गये ,शूल टंकेश्वर महादेव का उल्लेख स्कन्द-पुराण के काशी खण्ड में मिलता है जिसमें कहा गया है कि प्रयाग के शूल टंकेश्वर महादेव मन्दिर को वाराणसी में दश्वमेधघाट के समीप से प्रयाग घाट पर प्रतिस्थापित किया गया ,कालान्तर में शूल टंकेश्वर महादेव मन्दिर की स्थापना किले के सामने यमुना के दाये तट पर अरैल में सुधिजनो ने किया 18 वी शताब्दी में सुर्खी चूने का बना छोटा सा मन्दिर काल प्रवाह में देख देख के अभाव में नष्ट हो गया ,लगभग 40 वर्ष पूर्व शूलटंकेश्वर महादेव जी दो पीपल वृक्ष के बीच में उत्तर की ओर वर्तमान स्थल पर पुर्नस्थापित हो गये”
श्री वनखण्डी नाथ महादेव में दर्शन पूजन:-
श्री वनखण्डी नाथ महादेव में दर्शन पूजन :-तीर्थराज प्रयाग के प्रमुख शिवालयों में से एक बनखण्डी महादेव प्रमुख हैं इनके दर्शन से समस्त कष्टों से मुक्ति और मनोरथ पूर्ण होते हैं ”
तक्षकेश्वर नाथ मन्दिर में दर्शन पूजन हुआ :-“वैदिक परम्परा के अनुसार श्री तक्षक तीर्थ सृष्टि के आदिकाल से ही पौराणिक गणनानुसार 20 लाख वर्ष से अधिक प्राचीन है इनका उल्लेख पदम् पुराण के 82 पाताल खण्ड में प्रयाग महात्म्य में 82 वे अध्याय में मिलता है मन्दिर में स्थापित पांचों लिंग आदिकालीन है राजा परिक्षित के पुत्र जन्मेजय के नाग यज्ञ में ब्रह्माणो द्वारा आहुति दान मांगने श्री तक्षक ने यह वचन दिया कि जो कोई तक्षक कुण्ड में स्नान कर इस स्थान पर पूजन दर्शन करेगा उसके कुल में कभी विष बाधा नहीं होगी ,शास्त्रो में भी कहा गया है कि कालसर्प योग शान्ति ,राहु की महादशा,नाग दोष एवं विष बाधा से मुक्ति का मुख्य स्थान तक्षकेश्वर नाथ प्रयाग है ”
सायंकाल संगम तट पर आचमनी लेकर प्रथम दिवस यात्रा विश्राम हुआ ,यात्रा की अध्यक्षता
- श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय सभापति श्रीमहन्त प्रेम गिरि जी महाराज ने किया ,
- जगद् गुरू शंकराचार्य काशी सुमेरु पीठ स्वामी नरेंद्रानन्द सरस्वती जी महाराज ,
- वेणी माधव के महन्त महामण्डलेश्वर साध्वी वैभव गिरि जी महाराज ,
- अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद,
- अन्तर्राष्ट्रीय सचिव श्रीमहन्त महेश पुरी जी महाराज,
- अन्तर्राष्ट्रीय सचिव श्रीमहन्त शैलेन्द्र गिरि जी महाराज,
- अन्तर्राष्ट्रीय सचिव श्रीमहन्त मोहन भारती जी महाराज ,
- निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमहन्त ओमकार गिरि जी महाराज,
- सचिव श्रीमहन्त राधे गिरि जी महाराज,
- नया उदासीन अखाड़े के जटार मुनी जी महाराज
- ,मंत्री श्रीमहन्त राम गिरि जी महाराज,
- मंत्री चेतन पुरी प्रयागराज,
- महन्त आनन्ददेव गिरि जी कल्याण मुम्बई ,
- श्रीमहन्त आनन्द पुरी जी,
- आवाहन अखाड़,अग्नि अखाड़ा के अखाड़ा परिषद के सन्तों की भी उपस्थिति रही ,
- किन्नर अखाड़ा के महामण्डलेश्वर भावानी गिरि जी ,
- महामण्डलेश्वर पवित्रा गिरि जी
- एवं अन्य सन्तों की उपस्थिति में
- पी एन द्विवेदी जी ,
- लक्ष्मीकान्त मिश्रा जी,
- मुन्नीलाल पाण्डेय जी,
- चण्डिका प्रसाद जी ,
- मेला प्रशासन,
- पुलिस प्रसासन जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी पूजन में भाग लिया ,
- संगम पूजन की सम्पूर्ण व्यवस्था राज्य सरकार के दिशा-निर्देश से प्रयाग राज मेला प्रशासन की ओर से किया गया , सम्पूर्ण यात्रा में पुलिस प्रशासन का विशेष सहयोग रहा ।
हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिव अमित कुमार शर्मा
श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मन्दिरगाजियाबाद उत्तर प्रदेश
Jai mahakal ki nagari ki jai ho