हिज हाइनेस महाराजाधिराज गजसिंह व उनकी पत्नी महारानी हेमलता राजे ने किया लोकार्पण
नागाणा कल्याणपुर जोधपुर राजस्थान में
शक्ति और भक्ति की दिव्य स्थली श्री नागणेची माता मंदिर नागाणा धाम में बुधवार को नवरात्रि की पंचम तिथि को श्री पीथड़जी सोढ़ा राजपुरोहित की स्मृति में राजपुरोहित विश्राम गृह का लोकार्पण हुआ। समारोह में राजपूतों की धर्मशाला का भूमि पूजन भी किया गया।
हजारों संतों व भक्तों की मौजूदगी में हुआ लोकार्पण
श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य में हुए समारोह में मुख्य अतिथि हिज हाइनेस महाराजाधिराज गजसिंह व उनकी पत्नी महारानी हेमलता राजे, विशिष्ट अतिथि श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोल के अध्यक्ष रावल किशन सिंह व उनकी पत्नी रहे। श्री ब्रह्मधाम आसोतरा के गादीपति संत 108 श्री तुलछाराम महाराज, भारत साधु समाज राजस्थान के अध्यक्ष महंत निर्मलदास महाराज, जूना अखाडे के उपाध्यक्ष ओंकार भारती महाराज, पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह,जसोल तारातरा मठ के पीठाधीश्वर पोखरण के विधायक महंत प्रताप पुरी महाराज, विधायक समरजीत सिंह भीनमाल जालौर समेत राठोड वंश के देश भर से आए प्रतिष्ठित लोग व बडी संख्या में संत मौजूद रहे। हिज हाइनेस महाराजाधिराज गजसिंह व उनकी पत्नी हेमलता राजे ने स्कंदमाता की पाूजा-अर्चना कर मंदिर के मुख्य शिखर पर कलश की स्थापना की। मंदिर में काल भैरव की गोरा भैरव की प्राण प्रतिष्ठा की दिशा देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा व स्थापना की व ध्वजा की स्थापना की। ध्वजा का चढावा राम सिंह समदङी बालोतरा ने लिया।












राजस्थान के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी हैं नागणेची माताः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज
राजस्थान के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी नागणेची माता चक्रेश्वरी, राजेश्वरी,आदि नामों से भी प्रसिद्ध हैं। उनका मंदिर जोधपुर जिले के नागाणा कल्याणपुर में स्थित है। मंदिर के बारे में श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि इस मंदिर की सर्वप्रथम स्थापना राठौड़ राज्य के संस्थापक राव सिया जी के पौत्र राव धूहड़ ने देवी की मूर्ति को विधि-विधान के साथ विराजमान कराकर की थी। देश के इतिहास में राजपूतो की बड़ी भूमिका रही है। राजपूतों में राठौड़ वंश को न्यारा ही गौरव प्राप्त है। उनकी शूरवीरता देश ही नहीं दुनिया भर के लिए मिसाल है। नागणेची माता ऐसे शूरवीर राठौड़ राजवंश की कुलदेवी हैं और 18 भुजा वाली ये माता महषिमर्दिनी का ही स्वरूप हैं। इनकी पूजा-करने मात्र से ही सभी प्रकार के दुख-दर्द, संकट दूर हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर में देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं और मां के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य बनाते हैं। श्री नागणेची माता मंदिर की देखरेख जोधपुर के महाराजा गजसिंह व उनकी पत्नी महारानी हेमलता राजे के संरक्षण व दिशा-निर्देशन में ही होती है।