रामायण का जीवन का सार है, इसे अपना लिया तो जीवन धन्य हो जाएगाः महामंडलेश्वर रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मान प्रतिष्ठा समारोह में महाराजश्री मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए भगवान राम के आदर्शो का विश्व भर में प्रचार करने वाली महान विभूतियों को सम्मानित किया गया अयोध्याः श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज अपनी तीन दिवसीय अयोध्या यात्रा के दूसरे दिन शुक्रवार को दिन भर विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए। प्रातकालः हनुमान गढी के दर्शन व पूजन कर महाराजश्री ने सरयू मईया का आचमन किया। राम जन्म भूमि ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय से उनकी मुलाकात हुई और इस दौरान सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति व सभ्यता को लेकर विशेष चर्चा हुई। दिगम्बर अखाडे के महंत सुरेश दास महाराज से भी भेंट हुई। इसके अलावा विभिन्न धार्मिक संगठनों के पदाधिकारियों ने महाराजश्री से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। अयोध्या पथ पर महामंडलेश्वर साध्वी कंचन गिरि महाराज व डॉ वी पी सिंह द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मान प्रतिष्ठा समारोह में श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि रामायण सिर्फ प्राचीन भारतीय महाकाव्य ही नहीं हैए बल्कि यह तो ज्ञान और जीवन मार्गदर्शन का ऐसा खजाना हैए जो सदियों से अनगिनत लोगों को प्रेरित करता आ रहा है। यह एक ऐसी यात्रा हैए जो केवल भगवान राम के चरित्र व आदर्शो को तो प्रतिस्थापित करती ही हैए साथ ही उस यात्रा को भी दर्शाती है जिससे हम सभी जीवन में गुजरते हैं।
यह महाकाव्य हमें मानव स्वभाव के बारे में मूल्यवान सबक सिखाता है। महाराजश्री ने अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मान प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन करने के लिए आयोजक महामंडलेश्वर साध्वी कंचन गिरि महाराज व डॉ वी पी सिंह की सराहना की और कहा कि इस प्रकार के आयोजन से ही समाज का सही मार्गदर्शन कियाजा सकता है। आज प्रभु श्रीराम की अयोध्या नगरी भव्य राम मंदिर निर्माण के बाद विश्व की प्रमुख धार्मिक व आध्यात्मिक नगरी तो बन ही गई है, साथ ही यह नगरी भगवान राम के आदर्शो के माध्यम से पूरे विश्व के लोगों का सही मार्गदर्शन करने व उनके अंदर संस्कारों का बीजारोपण करने का कार्य भी कर रही है। महामंडलेश्वर रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं है बल्कि यह मनुष्य को जीवन की सीख देता है। रामायण के हर एक चरित्र से कुछ न कुछ शिक्षा अवश्य प्राप्त होती है। यदि व्यक्ति रामायण को पूजने के साथ उससे मिलने वाली सीख को अपने जीवन में अनुसरण करे तो वह एक सफल जीवन व्यतीत कर सकता है। रामायण में जीवन का सार छिपा है और इस सार को आत्मसात करने से जीवन को सुखी व सफल ही नहीं सार्थक बनाया जा सकता है। प्रभु श्रीराम जैसा कोई नहीं है।
यही कारण है कि ब्रहमांड का जन-जन और कण-कण तक राम का ही नाम जपता है। समारोह का शुभारंभ शंखनाद से किया गया। देश.विदेश से आए संतों का जोरदार स्वागत किया गया। महाराजश्री व महामंडलेश्वर रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज का स्वागत अभिनंदन हुआ। श्रीरामायण का लाइव मंचन हुआ। रंगारंग कार्यक्रमों से भगवान राम की महिमा का गुणगान किया गया। महामंडलेश्वर विद्या नंद सरस्वती महाराज, स्वामी विद्यानंद गिरि महाराज, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावतए ज्योतिष भवन के पीठाधीश्वर राकेश कुमार तिवारी, महामंत्री मुरारी दास, महंत संतोषानंद आदि भी मौजूद रहे। महाराजश्री, महामंडलेश्वर रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज, महामंडलेश्वर विद्या नंद सरस्वती महाराज, स्वामी विद्यानंद गिरि महाराज, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, ज्योतिष भवन के पीठाधीश्वर राकेश कुमार तिवारीए महामंत्री मुरारी दास, महंत संतोषानंद ने भगवान राम व रामायण के आदर्शो का भारत ही नहीं पूरे विश्व में प्रचार.प्रसार करने वाली महान विभूतियों को सम्मानित किया।