गाजियाबाद में स्थित श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। ऊपर से शिव जी से संबंधित जब यहाँ उत्सव होते है तो वो बहुत ही भव्य होते है। दूर दूर से भक्त एक झलक पाने के लिए यहाँ आते है।
सावन शिवरात्रि :-
उत्तर भारतीय राज्यों – उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार में अधिक लोकप्रिय है जहाँ पूर्णिमांत चंद्र कैलेंडर का पालन किया जाता है। आंध्र प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में जहां अमावसंत चंद्र कैलेंडर का पालन किया जाता है, सावन शिवरात्रि आषाढ़ शिवरात्रि से मेल खाती है।
श्रावण शिवारात्री से 1 दिवस पूर्व :-
प्रदोष काल श्रावण शिवारात्री से 1 दिवस पूर्व सायंकाल प्रदोषकाल मे भगवान दूधेश्वर का पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंचोपचार राजोपचार षोडशोपचार पूजन अभिषेक किया . साथ श्रावण शिवरात्रि बारे मे जल चाढाने का समय दिन व्रत दिवस बाताया,
हरिद्वार से गंगा जल:-
मन्दिर जल व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिये नगर निगम गाजियाबाद मे पार्षद जाकिर अली सैफी के प्रयास से 3.50 फुट बोरिंग मोटर का कार्य सम्पन्न हुआ ,नगर निगम के नगर आयुक्त महेन्द्र सिंह तंवर जी ने महाराज श्री से दूरभाष पर कार्य सम्पन्न होने पर वार्ता किया ,सिटी एस पी निपुण अग्रवाल जी ,ने मन्दिर मे सुरक्षा व्यवस्था का निरिक्षण किया , नगर कोतवाल चौकी इंचार्ज सभी व्यवस्था मे योगदान देते हुये निरिक्षण किया ।
श्रावण शिवरात्रि पूजा मुहर्त समय :-
पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा ने पूजा का मुहर्त विस्तार में बताया। इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर और माता- पार्वती की पूजा- अर्चना की जाती है।
व्रत – श्रावण शिवरात्रि शुक्रवार, 6 अगस्त 2021
निशिता काल पूजा समय :- रात्री 12:06 बजे से 7 अगस्त रात्री 12:48 बजे तक,
7 अगस्त को, शिवरात्रि पारण समय:- 05:46 AM 03:47 PM
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – 07:08 PM से 09:48 PM
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – 09:48 PMसे 12:27 AM, अगस्त 07
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 12:27 AM से 03:06 AM, अगस्त 07
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 03:06 AMसे 05:46 AM, अगस्त 07
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 06, 2021 को 06:28 PM
चतुर्दशी तिथि समाप्त – अगस्त 07, 2021 को 07:11 PM
सावन शिवरात्रि 2021:-
हिन्दु पञ्चाङ्ग में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि या मास शिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव के अनन्य भक्त प्रत्येक मासिक शिवरात्रि को व्रत रखते हैं व श्रद्धापूर्वक शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं। एक वर्ष में मुख्यतः बारह मासिक शिवरात्रि आती हैं।
श्रावण माह में आने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि या श्रावण शिवरात्रि कहते हैं। वैसे तो श्रावण का पूरा महीना ही भगवान शिव को समर्पित है व उनकी पूजा करने के लिए शुभ है। अतः श्रावण महीने में आने वाली शिवरात्रि को भी अत्यधिक शुभ माना गया है। हालाँकि, सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि जिसे महा शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। यह उत्तर भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार फाल्गुन मास में व फरवरी या मार्च महीने में आती है।
उत्तर भारत के प्रसिद्द शिव मन्दिरो में श्रावण मास में विशेष पूजा-पाठ और दर्शन का आयोजन होता है। हज़ारों की संख्या में शिव-भक्त श्रावण के महीने में भगवान शिव को समर्पित मन्दिरों में दर्शन करते हैं। भक्तजन गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक कर शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं,भगवान शिव श्रावण मे सभी मनोकामना पूर्ण करते है ।
व्रत विधि:-
शिवरात्रि के एक दिन पहले, मतलब त्रयोदशी तिथि के दिन, भक्तों को केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। शिवरात्रि के दिन, सुबह नित्य कर्म करने के पश्चात्, भक्त गणों को पुरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प के दौरान, भक्तों को मन ही मन अपनी प्रतिज्ञा दोहरानी चाहिए और भगवान शिव से व्रत को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करने हेतु आशीर्वाद मांगना चाहिए। हिन्दु धर्म में व्रत कठिन होते है, भक्तों को उन्हें पूर्ण करने हेतु श्रद्धा व विश्वास रखकर अपने आराध्य देव से उसके निर्विघ्न पूर्ण होने की कामना करनी चाहिए।
शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करना चाहिए या मन्दिर जाना चाहिए। शिव भगवान की पूजा रात्रि के समय करना चाहिए एवं अगले दिन स्नानादि के पश्चात् अपना व्रत तोड़ना चाहिए। व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने हेतु, भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए। लेकिन, एक अन्य धारणा के अनुसार, व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के पश्चात् का बताया गया है। दोनों ही अवधारणा परस्पर विरोधी हैं। लेकिन, ऐसा माना जाता है की, शिव पूजा और पारण (व्रत का समापन), दोनों चतुर्दशी तिथि अस्त होने से पहले करना चाहिए।
एक पुष्प
एक बेलपत्र
एक लोटा जल की धार
कर दे सबका उद्धार
सावन शिवरात्रि की आपको शुभकामनाएं
कर्ता करे न कर सकै,
महादेव करै सो होय,
तीन लोक नौ खंड में,
शिव से बड़ा न कोय।
हर हर महादेव……