जय दूधेश्वर महादेव
आज तीर्थराज प्रयाग के तीन दिवसीय परिक्रमा के द्वितीय दिवस के अवसर पर परिक्रमा श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नेतृत्व एवं दिशानिर्देश में आज संगम तट पे आचमन लेकर प्रारंभ हुई .
जिसमें जगद् गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज काशी सुमेरु पीठ, महामण्डलेश्वर स्वामी श्री विरेन्द्रानन्द गिरि जी महाराज, श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा,महामण्डलेश्वर स्वामी योगेश्वरी यती जी महाराज कानपुर, महामण्डलेश्वर भवानी गिरि जी किन्नर अखाड़ा, महामण्डलेश्वर पवित्रा नन्द गिरि जी किन्नर अखाड़ा,थानापति नीलकंठ गिरि जी ,श्रीमहन्त चेतन पुरी जी सैक्रेटरी प्रयागराज , आदित्य गिरि डंडा गुरू, थानापति पूरण भारती जी,साध्वी शारदा गिरि अहमदनगर महाराष्ट्र ,मेला प्रसासन की ओर से यात्रा की सम्पूर्ण व्यवस्थापक चंडिका प्रसाद त्रिपाठी जी, पुलिस प्रशासन के पी एन द्विवेदी जी,एस डी एम आशुतोष राय जी एवं अन्य सन्तों एवं मेला प्रशासन पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के साथ यात्रा त्रिवेणी संगम में आचमन लेकर प्रारंभ करके नगर देवता वेणी माधव में दर्शन पूजन करने के उपरान्त संगम में आचमन लेकर द्वितीय दिवस परिक्रमा विश्राम हुई
वेणी माधव के महन्त महामण्डलेश्वर साध्वी वैभव गिरि जी ने यात्रा का स्वागत किया ,आज परिक्रमा में देव दर्शन में झूंसी स्थित श्री शंख माधव मन्दिर दर्शन पूजन , ग्राम ककरा दुबावल स्थित महर्षि दुर्वासा ऋषि के दर्शन पूजन एवं भोजन प्रसाद ग्रहण किया
दुर्वासा ऋषि:- कृपा अवतार महर्षि दुर्वासा जी शिव स्वरूप साक्षात् दशम् रूद्र है महर्षि अत्रि एवं परमसति अनुसुइया के घनघोर तप के फल स्वारूप स्वयं भगवान शिव ही दुर्वासा जी के रूप में दत्तात्रेय एवं चन्द्रमा के साथ अवतीर्ण हुए,पाण्डेश्वर नाथ महादेव मन्दिर (पडिला महादेव ) फाफामऊ में दर्शन पूजन किया .
पाण्डेश्वर नाथ महादेव:- महाभारत के काल में पाण्डवों के अज्ञात वास के दौरान लाक्षागृह जाते समय रात्री विश्राम के लिए साफ सफाई करते समय यह शिवलिंग दीखाई दिया उत्सुकता वश खुदाई में कहीं इस शिवलिंग का अन्त नहीं मिला यह अनन्त है इसको स्वीकार कर पाण्डवों ने अपना नाथ स्वीकार किया इसलिए इनका नाम पाण्डेश्वर नाथ महादेव पड़ा इस स्थान पर मठ के निहंग महन्त बाबा श्याम गिरि जी महाराज की जीवित समाधी भी है ,
यहां पर दर्शन के उपरान्त नागवासुकी भगवान के दर्शन पूजन करके रोकड़िया हनुमान जी श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा में दर्शन पूजन ,अलोपशंकरी देवी मन्दिर में माता जी दर्शन पूजन करके , ब्रह्मविद्या वेदी दर्शन ,श्री कोटेश्वर महादेव शिव कोटी दर्शन पूजन किया,असि माधव जी के दर्शन पूजन :- असि माधव भगवान प्रयाग के ईशान भाग में नागवासुकी मन्दिर के पास निवास करते हैं इनके दर्शन एवं पूजन से तीर्थ उपद्रवकारी तत्वों का नाश होता है तथा यह अपने भक्तो की रक्षा करते हैं तदोपरान्त नगर देवता वेणी माधव में दर्शन पूजन आरती किया ,
वेणी माधव जी :-सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रयाग में प्रथम यज्ञ किया था ,पुराणों के अनुसार प्रयाग सभी तीर्थों का उद्गम है इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं है और वे यहां पर भगवान वेणी माधव के रूप में विराजमान हैं जिन्हे द्वादश माधव कहा जाता है जिनमे से भगवान वेणी माधव प्रयाग के प्रधान देवता माने गये है क्योंकि इनका निवास गंगा यमुना और सरस्वती के संगम बने त्रिवेणी क्षेत्र के मध्य में स्थित है संगम स्नान के पर्यंत भगवान वेणी माधव जी कि दर्शन करने से ही पूर्ण पुण्य की प्राप्ति होती है ,ऐसी मान्यता है की पुराणों और रामचरित मानस वर्णित है इस प्राचीनतम मन्दिर प्रांगण में श्री चैतन्य महाप्रभु जी वेणी माधव जी का दर्शन करते हुये संकीर्तन एवं नृत्य किया करते थे ,यात्रा में सभी देव स्थानो पर दर्शन करते हुये सायंकाल संगम में आचमन करके संगम तट स्थित श्री दत्तात्रेय शिविर में यात्रा विश्राम।
हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिवअमित कुमार शर्माश्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश