जय दूधेश्वर महादेव
!!श्री शिवमहापुराण कथा सप्त दिवसीय 7 जनवरी से 14 जनवरी 2022!!
श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में भगवान दूधेश्वर के प्रांगण में पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के पावन सानिध्य में कथा व्यास श्री दिव्या भारद्वाज जी बरसाने वाली के मुखारविंद से संगीतमय शिवकथा का रस प्रवाह हो रहा है ,
भगवान शिव:-
भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं। त्रिदेवों में इन्हें संहार का देवता भी माना गया है। अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना की तुलना में शिवोपासना को अत्यन्त सरल माना गया है। अन्य देवताओं की भांति को सुगंधित पुष्पमालाओं और मीठे पकवानों की आवश्यकता नहीं पड़ती । शिव तो स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधों के फल यथा-धूतरा आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव को मनोरम वेशभूषा और अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं है। वे तो औघड़ बाबा हैं। जटाजूट धारी, गले में लिपटे नाग और रुद्राक्ष की मालाएं, शरीर पर बाघम्बर, चिता की भस्म लगाए एवं हाथ में त्रिशूल पकड़े हुए वे सारे विश्व को अपनी पद्चाप तथा डमरू की कर्णभेदी ध्वनि से नचाते रहते हैं। इसीलिए उन्हें नटराज की संज्ञा भी दी गई है। उनकी वेशभूषा से ‘जीवन’ और ‘मृत्यु’ का बोध होता है। शीश पर गंगा और चन्द्र –जीवन एवं कला के द्योतम हैं। शरीर पर चिता की भस्म मृत्यु की प्रतीक है। यह जीवन गंगा की धारा की भांति चलते हुए अन्त में मृत्यु सागर में लीन हो जाता है।
शिवमहापुराण:-
इस महापुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति और शिव-महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है। प्राय: सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। कहा गया है कि शिव सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले एवं मनोवांछित फल देने वाले हैं।
आज द्वितीय दिवस के अवसर मध्यान्ह काल 2 बजे से कथा प्रारम्भ होकर सायंकाल 5 बजे तक चली आज द्वितीय दिवस कथा में शिवमहापुराण में कुबेर की कथा बताई गयी ,शिव पुराण में बताया गया है कि कुबेर महाराज पूर्व जन्म में गुणनिधि नामक ब्राह्मण थे। बचपन में कुछ दिनों तक इन्होंने धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया लेकिन बाद में कुसंगति में पड़कर जुआ खेलने लगे।
धीरे-धीरे चोरी और दूसरे गलत काम भी करने लगेएक दिन दुःखी होकर गुणनिधि के पिता यज्ञदत्त ने इन्हें घर से निकाल दिया। भटकते हुए गणनिधि एक वन में पहुंचा। भूख प्यास से बुरा हाल हो रहा था। तभी इसने देखा कि कुछ लोग भोग समाग्री लेकर जा रहे हैभोजन को देखकर गुणनिधि की भूख और बढ़ गई।
वह लोगों के पीछे-पीछे चल पड़ा। इसने देखा कि लोग शिवालय में जाकर भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं। सभी भोग सामग्री शिव जी को अर्पित करके लोग भजन कीर्तन करने लगे गुणनिधि मौके की तलाश में था कि कब वह भगवान पर चढ़ाए गए भोग पदार्थों को चुरा ले। रात में जब सभी लोग सो गए तो गुणनिधि दबे पांव मंदिर में जाकर भोग सामग्री चुराकर वापस चल पड़ालेकिन एक व्यक्ति को गुणनिधि का पांव लग गया और वह चोर-चोर चिल्लाने लगा। गुणनिधि जान बचाकर भागा लेकिन नगर रक्षक के तीर का निशान बन गया। गुणनिधि की मृत्यु हो गई।लेकिन भगवान शिव की कृपा से उसे अनजाने में ही शिवरात्रि व्रत करने का फल प्राप्त हो गया। इसके प्रभाव से अगले जन्म में गुणनिधि कलिंग देश का राजा हुआ। इस जन्म में गुणनिधि शिव का परम भक्त था। इसके पुण्य से भगवान शिव ने कुबेर को यक्षों का स्वामी और देवताओं का कोषाध्यक्ष बना दिया भगवान भोलेनाथ की आरती के साथ द्वितीय दिवस कथा विश्राम हुआ , महाराज श्री ने कथा श्रवण किया , एवं संगीतमयी कथा में भक्तों ने भगवान के भजनों में आनन्दरस प्राप्त करते हुवे कथा श्रवण किया ,
श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन श्री दूधेश्वरनाथ मन्दिर में आयोजित है जिसमें सभी भक्त सादर आमंत्रित हैं , दूधेश्वर नगरी गाजियाबाद में भगवान शिव की कथा रस का गुणगान चल रहा है जिसका भक्तिरस आप सभी प्राप्त करने के लिये आमंत्रित हैं ।
हर हर महादेव
अमित कुमार शर्मा