सोमनाथ मंदिर के निर्माण से 15 वर्ष पहले ही उसमें शिवलिंग की स्थापना कर दी गई थीः श्रीमहंत नारायण गिरि
उस समय कोई विवाद नहीं हुआ तो आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर निरर्थक विवाद क्यों खडा किया जा रहा है
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से बढकर खुशी का कोई दूसरा अवसर नहीं हो सकता, अतः कण-कण व रोम-रोम में बसने वाले भगवान राम का त्रेता युग जैसा ही स्वागत किया जाए.
अयोध्याः
श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि 500 वर्ष के बाद भगवान राम अयोध्या के भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को प्रकट होने वाले हैं। इससे बडे सौभाग्य व खुशी का दूसरा कोई मौका नहीं हो सकता है कि हम अपने आराध्य को भव्य राम मंदिर में विराजमान होते हुए देखेंगे। अतः हमें किसी विवाद में ना पडकर 22 जनवरी के दिन को ऐसा यादगार बनाना है कि सदियों तक भी उसे पूरा विश्व याद रखें।


श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि कुछ लोग इस बात का विवाद खडा कर रहे हैं कि भगवान राम को अर्धनिर्मित मंदिर में विराजमान कराया जा रहा है। ऐसा विवाद करने वाले यह बात भूल गए हैं कि भगवान सोमनाथ के मंदिर में मंदिर निर्माण से 14 वर्ष पहले ही शिवलिंग की स्थापना कर दी गई थी। सोमनाथ के मंदिर कं जीर्णोदार का संकल्प लोहपुरूष भारत के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल के नेतृत्व में 13 नवंबर 1947 को किया गया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सलाह पर ंमंदिर के निर्माण के लिए सोमनाथ ट्रस्ट की स्थापना की गई। 11 मई 1951 को तत्कालीन राष्ट्रपति डा राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी और 13 मई 1965 को मंदिर के निर्माण का कार्य पूरा हुआ था। उस समय तो किसी ने विवाद खडा नहीं किया था तो आज जब भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम अवसर तथा विश्व के समस्त हिंदुओं व सनातनियों के लिए खुशी का सबसे बडा दिन 22 जनवरी को आ रहा है तो फिर इस दिन यादगार बनाने की निरर्थक विवाद खडा क्यों किया जा रहा है। विवाद खडा करने वाले शायद यह भूल गए हैं कि भगवान राम तो कण-कण में बसें हैं। हम सबके रोम-रोम में समाए हैं। हम सबके दिन की शुरूआत राम-राम से शुरू होती है। हमारे पैदा होने से लेकर मृत्यु तक यदि कोई हमारे साथ होता है तो वह राम नाम ही है।
अतः हमें निरर्थक विवाद में पडने की बजाय 22 दिन के दिन को ऐसा यादगार बनाना चाहिए कि पूरा विश्व राम नाम के जयकारों से गूंज उठे। कुछ लोग यह कह रहे हैं कि भगवान की प्राण प्रतिष्ठा ऐसे व्यक्ति से नहीं करानी चाहिए जिनकी पत्नी नहीं है। ऐसे लोगों को याद रखना चाहिए कि यह भगवान राम की कृपा ही है कि हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ जैसे दिव्य पुरूष मिले हैं। उनके प्रयासों से ही भव्य व दिव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ है। यह जरूरी नहीं है कि पत्नी वाले ही प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। शास्त्रों में लिखा है कि ऋषि-मुनि व संत द्वारा प्राण प्रतिष्ठा करना तो सौभाग्य की बात होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जीवन किसी ऋषि-मुनि या संत से कम नहीं हैं। अतः उनके द्वारा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करना प्रत्येक सनातनी के लिए गर्व की बात है।