Back to all Post

श्रीमहंत नारायण गिरि ने राणी भटियाणी मंदिर जसोल धाम में अष्टम महाविद्या मां मातंगी की पूजा-अर्चना

श्रीमहंत नारायण गिरि ने राणी भटियाणी मंदिर जसोल धाम में अष्टम महाविद्या मां मातंगी की पूजा-अर्चना की
रावल किशन सिंह की अध्यक्षता व कुंवर हरिशचंद सिंह के संयोजन में पूजन अनुष्ठान हुआ
राजस्थानः
श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वरए श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ताए दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने अपनी शक्ति उपासना यात्रा के तहत राणी भटियाणी मंदिर जसोल धाम में मां की आठवीं महाविद्या मां मातंगी की पूजा-अर्चना, ध्यान व साधना की। उन्होंने कन्याओं का देवी रूप में पूजन किया और मां से अपने सभी भक्तों पर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना की। महाराज श्री के पावन सानिघ्य तथा मंदिर समिति के अध्यक्ष रावल किशन सिंह की अध्यक्षता व संयोजक कुंवर हरिशचंद सिंह की देखरेख में चल रहे गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान के दौरान मां मातंगी की पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

सभी ने महाराजश्री से भेंटकर उनका आशीर्वाद लिया। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि मातंगी देवी को प्रकृति और वाक्.शक्ति की देवी माना गया है। मातंगी देवी इंद्रजाल और जादू के प्रभाव को नष्ट करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मातंगी माता को शिव की शक्ति बताया गया हैण् मतंग भगवान शिव का नाम है। मां मातंगी को गृहस्थ जीवन को सुखमय बनाने वाली, असुरों को मोहित करने और साधकों को इच्छित फल देने वाली देवी बताया गया है। मातंगी देवी एक मात्र ऐसी देवी हैं जिनका व्रत नहीं रखा जाता है और जिन्हें जूठन का प्रसाद अर्पित किया जाता है।

इसके पीछे कई कथाएं हैं। एक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और पत्नी लक्ष्मी के साथ भगवान शिव तथा पार्वती से मिलने हेतु उनके निवास स्थान कैलाश शिखर पर गए। भगवान विष्णु अपने साथ कुछ खाने की सामग्री ले गए तथा उन्होंने वह खाद्य प्रदार्थ शिव जी को भेंट स्वरूप प्रदान की। भगवान शिव तथा पार्वती नेए उपहार स्वरूप प्राप्त हुए वस्तुओं को खाया, भोजन करते हुए खाने का कुछ अंश नीचे धरती पर गिर गए। उन गिरे हुए भोजन के भागों से एक श्याम वर्ण वाली देवी ने जन्म लिया, जो मातंगी नाम से विख्यात हुईं। आचार्य तोयराज उपाध्याय, प्रदीप त्रिपाठी, दीपक भट्ट, नीतेश त्रिपाठी, आयुष पौड़ेल, रामधिराज तिवारी, विपिन शुक्ला, मनोहर अवस्थी ने मां का पूजन कराया।

Add Your Comment