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श्री वाल्मीकि रामायण हमें आदर्श पथ पर चलने की प्रेरणा देती हैः वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज


भगवान दूधेश्वर की कृपा से हमें वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज के मुख से वाल्मीकि रामायण श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा हैः श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज
गाजियाबादः
वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज ने कहा कि श्री वाल्मीकि रामायण हमें आदर्श पथ पर चलने की प्रेरणा देती है। भगवान राम का चरित्र जहां एक ओर पारिवारिक रिश्तों की अहमियत को दर्शाता है। वहीं दूसरी ओर जाति-पाति के भेदभाव को मिटाकर मानव मात्र में सौहार्द की भावना जागृत होती है। वेदांती महाराज सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में 10 दिवसीय संत सनातन कुंभ में आयोजित वाल्मीकि रामायण राम कथा के दूसरे दिन प्रवचन कर रहे थे। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरी के पावन सान्निध्य में बडी संख्या में भक्तों ने राम कथा का अमृत पान किया। वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज ने कहा कि वाल्मीकि रामायण से पहले कोई महाकाव्य नहीं था। सिर्फ वेद ही थे और जब भगवान राम ने धरती पर अवतार लिया तो वेद ही वाल्मीकि रामायण के रूप में प्रकट हुए। नारद मुनि से मुलाकात के बाद महर्षि वाल्मीकि ने हजारों वर्षो तक राम नाम की तपस्या मरा मरा रूप में की। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि दीमकों ने उनके शरीर को अपना घर यानि बांबी बना ली थी, जिसका हिंदी अर्थ वाल्मीकि ही होता है। इसी से उनका नाम महर्षि वाल्मीकि पडा।

भगवान राम के दिव्य गुणों का गुणगान:-

भगवान राम के दिव्य गुणों का गुणगान करने वाले व जन-जन में उनकी भक्ति का प्रचार-प्रसार करने वाले सबसे पहले महर्षि वाल्मीकि व उसके बाद हनुमान जी थे। यही कारण है कि गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने श्री रामचरित मानस में सबसे पहले महर्षि वाल्मीकि की ही वंदना की है। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज के सानिध्य में सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में वाल्मीकि रामायण का आयोजन होना बहुत ही सौभाग्य की बात है। श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि भगवान राम की भक्ति को जन-जन तक पहुंचाने वाली वाल्मीकि रामायण ही है। वाल्मीकि रामायण युगों-युगों से राम नाम की अखंड ज्योत विश्व भर के लोगों में प्रज्जवलित करती आ रही है। वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज वर्षो से बाल्मीकि रामायण पर आधारित राम कथा से मानव मात्र का कल्याण कर रहे हैं। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में भी उनकी अहम भूमिका रही है। यह हम सभी का सौभाग्य है कि भगवान दूधेश्वर की कृपा से ऐसे महान व तपस्वी संत के श्रीमुख से हम सभी को राम कथा श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।

उन्होंने कहा कि मंदिर में 28 सिद्ध गुरूओं की समाधि है और उनकी स्मृति में संत सनातन कुंभ का आयोजन 48 वर्ष से मंदिर में हो रहा है। 10 जुलाई को श्रद्धांजलि सभा व संत भंडारे का आयोजन होगा मुख्य अतिथि ऊर्ध्वाम्नाय श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज व जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी महाराज होंगे। अध्यक्षता श्रीमहन्त प्रेम गिरी महाराज अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीपंच दसनाम जूना अखाड़ा करेंगे।

विशिष्ट अतिथि के रूप में :-

विशिष्ट अतिथि के रूप में जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी महाराज, श्रीमहन्त पृथ्वी गिरि जी महाराज गादीपति बालक हिसार हरियाणा, श्रीमहन्त मोहन भारती जी महाराज सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा डेरा भगाना हरियाणा, श्रीमहन्त महेश पुरी महाराज सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा हरिद्वार, श्रीमहन्त शैलेंद्र गिरि महाराज सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा श्री शिव मंदिर गुलजारी वाला धाम कैराना रोड शामली, आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज, दिल्ली संत महामंडल के संस्थापक स्वामी राघवानन्द गिरी महाराज, महामंडलेश्वर नवल किशोर दास महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी कंचन गिरी महाराज शामिल होंगे। सभी कार्यक्रमों की व्यवस्था महंत धीरेंद्र पुरी महाराज, महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज, महंत गिरिशानंद गिरी महाराज, महंत कन्हैया गिरी महाराज, महंत विजय गिरी महाराज, महंत मुकेशानंद गिरी महाराज वैद्य कर रहे हैं। संतों का स्वागत धर्मपाल गर्ग, अनुज गर्ग, विजय मित्तल, शंकर झा, अमित कुमार शर्मा व दीपांकर पांडेय करेंगे। भगवान राम व वाल्मीकि रामायण की पूजा-अर्चना व आरती की। डॉ राधवेंद्र दास महाराज, महंत गिरीशानंद गिरी महाराज, महंत मुकेशानंद गिरी महाराज वैद्य, महंत विजय गिरी महाराज, महंत शैलेंद्र गिरी महाराज, महंत कैलाश गिरी महाराज श्मशानवासिनी, विजय मित्तल, अजय चोपडा आदि भी मौजूद रहे।

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