अधिकमास की अमावस्या का विशेष महत्व होता है. श्रीमहंत नारायण गिरि
अधिकमास की अमावस्या को सिद्धपीठ दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ उमडी
आज अधिकमास समाप्त होगा और फिर से सावन मास आरंभ हो जाएगा.
पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने भगवान की विशेष पूजा की:-
सिद्धपीठ दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर मे अधिकमास की अमावस को भक्तों की भीड़ उमड पडी। देश के विभिन्न शहरों से भक्त पूजा-पाठ करने आए। मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने भगवान की विशेष पूजा की। भगवान के भव्य सिंगार व भोग प्रसाद के बाद भक्तों ने पूजा अर्चना की। देवी मंदिर दिल्ली गेट के महंत गिरिशानंद गिरि, आनंदेश्वरानंद गिरि विकास पुरी, समरकूल के चेयरमैन संजीव गुप्ता, बबलू गिरि, आशीष तिवारी, जीवजी, योग सिंह हरदेव सिंह आदि ने भी पूजा की।
मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि:-
श्रावण मास के बीच 18 जुलाई से शुरू हुए अधिक मास के महिने का आज 16 अगस्त 2023 अमावस्या के दिन समापन हो रहा है। इसे पुरुषोत्तमी अमावस्या को मलमास या अधिक मास की अमावस्या भी कहा जाता है। ये दिन बहुत ही खास होता है, क्योंकि इस दिन को विराम दिवस भी कहा जाता है और उसके बाद पुनः श्रावण मास आरंभ हो जाएगा। जिस प्रकार से सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है, वैसे ही पुरुषोत्तम मास या अधिकमास का यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है।:
अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व:-
अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है क्योंकि यह तिथि पितरों को समर्पित है। मलमास में अमावस्या तिथि का आना सोने पर सुहागा की तरह माना जाता है, क्योंकि इस दिन पितरों को तर्पण और दान पुण्य के कार्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन विधिवत रूप से भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से ग्रह-नक्षत्रों का अशुभ प्रभाव और पितृदोष खत्म होता है। खास बात ये है कि आज 19 साल बाद बड़ा ही अद्भुत महासंयोग बन रहा है। आज अधिक मास की अमावस्या समाप्त होने के साथ श्रावण मास आरंभ का संजोग बन रहा है।
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Dudheshwar mahadev ki jai ho har har mahadev