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श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज युग पुरूष महंत दिग्विजयनाथ और राष्ट्रसंत महंत अवैद्यनाथ की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए

महाराजश्री ने कहा, युग पुरूष महंत दिग्विजयनाथ और राष्ट्र संत महंत अवैद्यनाथ का पूरा जीवन देश व धर्म के लिए समर्पित रहा
गोरखनाथ मंदिर में विश्व कल्याण की कामना से पूजा.अर्चना भी की
गोरखपुर।
श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष एवं जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने गोरखनाथ मंदिर में विश्वकल्याण की कामना से पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने मंदिर में विराजमान सभी देवी-देवताओं तथा ब्रह्मलीन युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ और राष्ट्रसंत महंत अवैद्यनाथ की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर विश्व में शांति और धर्म की रक्षा हेतु प्रार्थना की।

श्रद्धांजलि समारोह:-

इसके उपरांत महाराजश्री गोरक्षपीठ की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। यह समारोह ब्रह्मलीन युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं तथा राष्ट्रसंत महंत अवैद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित किया गया।

श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा :-

अपने संबोधन में श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि, एक संत का कोई व्यक्तिगत जीवन नहीं होता। उसका संपूर्ण जीवन देश और धर्म के लिए समर्पित होता है। युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ और राष्ट्रसंत महंत अवैद्यनाथ का पूरा जीवन इसी आदर्श को समर्पित रहा।

उन्होंने बताया कि युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी योगदान दिया। उनके प्रयास से स्थापित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद आज विश्वविद्यालय तथा चार दर्जन से अधिक प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से राष्ट्र और समाज की सेवा कर रही है।

राष्ट्र संत महंत अवैद्यनाथ को स्मरण करते हुए महाराजश्री ने कहा कि उनका जीवन भारतीयता, सामाजिक जीवन मूल्यों और राष्ट्र कल्याण के लिए समर्पित रहा। उन्होंने संपूर्ण विश्व के हिंदुओं को राम जन्मभूमि आंदोलन से जोड़ा और इसे जन-जन का आंदोलन बना दिया, जिसके परिणामस्वरूप आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर स्थापित हुआ है।

समारोह के मुख्य वक्ता, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी (बिहार) के पूर्व प्रोफेसर संजय कुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय ज्ञान और परम्परा ही हमारी असली धरोहर है, जिसमें विश्वकल्याण की भावना निहित है।

जगतगुरु विष्णुस्वामी सम्प्रदायाचार्य संतोषाचार्य सतुआबाबा महाराज ने गोरक्षपीठ को भारतीय ज्ञान, संस्कृति और परम्परा का जीवंत प्रतीक बताया। वहीं, हनुमानगढ़ी अयोध्या धाम के महंत राजू दास महाराज ने कहा कि प्राचीन काल में भारत अपनी गौरवमयी शिक्षा के कारण विश्वगुरु था, परंतु शिक्षा से दूरी ने हमें पिछड़ा दिया।

महंत रामलखन दास महाराज व राममिलन दास महाराज ने आह्वान किया कि ब्रह्मलीन युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ और राष्ट्रसंत महंत अवैद्यनाथ के जीवन से प्रेरणा लेकर हम भारतीय संस्कृति, परम्परा और शिक्षा को पुनः विश्वभर में स्थापित कर सकते हैं।
श्री गोरखनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी महंत योगी कमलनाथ ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों और चुनौतियों के बावजूद युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ और राष्ट्रसंत महंत अवैद्यनाथ ने जिस प्रकार भारतीयता का परचम पूरे विश्व में फहराया, वह सदैव प्रेरणा देता रहेगा।इस अवसर पर ब्रह्मचारी दासलाल महाराज, महंत रविंद्र दास महाराज, महंत शशिभूषण दास महाराज, महंत मिथलेशनाथ महाराज सहित अनेक संतों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. रंगनाथ त्रिपाठी के वैदिक मंगलाचरण से हुआ। आदित्य तिवारी व गौरव पांडेय ने गोरक्षाष्टक का पाठ प्रस्तुत किया। अंत में महाराणा प्रताप पॉलिटेक्निक, गोरखपुर के प्रधानाचार्य डॉ. रंगनाथ त्रिपाठी ने प्रो. संजय कुमार शर्मा को स्मृति-ग्रंथ भेंटकर सम्मानित किया।

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