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श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने त्रिशूर में पेरुवनम महादेव मंदिर, पुन्कुन्नम शिव मंदिर व वडक्कुनाथन मंदिर में पूजा-अर्चना की

तीनों मंदिर केरल के प्रसिद्ध 108 शिव मंदिरों में शामिल हैं

केरलः
केरल की सात दिवसीय देवदर्शन, अनुष्ठान व धर्मयात्रा के दौरान सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दिल्ली संत मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने त्रिशूर के तीन प्रसिद्ध शिव मंदिरों के दर्शन किए। उन्होंने मंदिरों में पूजा-अर्चना कर भगवान शिव से सभी पर अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना की।

पेरुवनम महादेव मंदिर:-

महाराजश्री ने त्रिशूर जिले के पेरुवनम में स्थित पेरुवनम महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर केरल की उत्पत्ति और परशुराम के आगमन के समय से ही अस्तित्व में है। यह केरल के प्रसिद्ध 108 शिव मंदिरों में से एक है और प्राचीन पेरुवनम गाँव का प्रमुख मंदिर है। यह पश्चिम में भद्रकाली और सुब्रमण्य मंदिरों, उत्तर में संस्था मंदिर, पूर्व में विष्णु मंदिर और दक्षिण में दुर्गा मंदिर से घिरा हुआ है।
कहा जाता है कि हस्तिनापुर के राजा ययाति के पुत्र पूरु महर्षि ने यहाँ वन में कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। इसी कारण इस स्थान का नाम “पूरुवनम” शब्द से लिया गया है। यहाँ के मुख्य देवता भगवान शिव हैं, जिन्हें स्थानीय रूप से एराट्टायप्पन (Irattayappan) कहा जाता है। इस मंदिर में दो शिवलिंग प्रतिष्ठित हैं और परिसर में प्रतिवर्ष प्रसिद्ध पेरुवनम पूरम उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज:-

श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने पुन्कुन्नम शिव मंदिर में भी पूजा-अर्चना की, जो भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। यह त्रिशूर शहर के उपनगर पुन्कुन्नम में स्थित है। मंदिर परिसर में मां पार्वती, भगवान गणपति, अय्यप्पन, पार्थसारथी (भगवान कृष्ण का रूप) और नाग देवताओं के मंदिर भी स्थित हैं। इस मंदिर का प्रशासन कोचीन देवस्वोम बोर्ड द्वारा किया जाता है।

इसके बाद महाराजश्री ने त्रिशूर जिले में ही भगवान शिव को समर्पित वडक्कुनाथन मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने बताया कि यह मंदिर केरल की पारंपरिक स्थापत्य शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और इसके अंदर महाभारत के विविध प्रसंगों को दर्शाते भित्ति-चित्र आज भी विद्यमान हैं।
ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम द्वारा निर्मित प्रथम शिव मंदिर है। वर्ष 2012 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने केरल के 14 प्रमुख स्थलों — जिनमें वडक्कुनाथन मंदिर और संबंधित महल भी शामिल हैं — को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी। यह मंदिर 108 प्राचीन शिव मंदिरों में प्रथम माना जाता है।
शिव मंदिर स्तोत्र में इसका उल्लेख “श्रीमद् दक्षिणा कैलासम” के रूप में किया गया है, जिसका अर्थ है “दक्षिण का कैलाश पर्वत”। वडक्कुनाथन मंदिर में शिवलिंग पर सदियों से घी का अभिषेक किया जाता है, जिससे वह अब घी की परतों में आवृत हो चुका है।महाराजश्री ने कहा कि तीनों मंदिरों में भगवान शिव साक्षात् विराजमान हैं और जो भक्त सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं, भगवान शिव उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।

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