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तन सिंह का पूरा जीवन समाज व देश के लिए समर्पित रहाः श्रीमहंत नारायण गिरि


दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में हुए तन सिंह जन्म शताब्दी समारोह में देश भर से लाखों लोग पहुंच

नई दिल्लीः
देश भर के क्षत्रिय समाज की ओर से श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक तन सिंह जन्म शताब्दी समारोह 28 जनवरी को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में मनाया गया। समारोह में देश भर से क्षत्रिय समाज के 2 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया। अनेक मंत्रियों, सांसदों, विधायकों के अलावा देश भर से प्रख्यात संत भी समारोह में पहुंचे। समारोह में श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। समारोह का शुभारंम हवन से हुआ। उसके बाद ध्वजारोहण व क्षत्रिय गीत का आयोजन हुआ। तन सिंह की बेटी ने अपने पिता के जीवन पर प्रकाश डाला। श्री क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक भगवान सिंह रोलसाहबसर और संघ प्रमुख लक्ष्मण सिंह बैंयाकाबास के नेतृत्व में हुए क्षत्रिय समाज के महाकुंभ में दिल्ली शहर और एनसीआर क्षेत्र के साथ-साथ हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से भी बड़ी संख्या में राजपूतों ने भाग लिया।

श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर:-

श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि तन सिंह बहुत ही सरल, ईमानदार, स्पष्टवादी व मृदुभाषी थे। उनका पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित था। तनसिंह जी आधुनिक युग के अग्रणी क्षत्रिय विचारक थे। उन्होंने श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना 22 दिसंबर 1946 को महज 22 साल की उम्र में ही कर दी थी। यह संघ युवाओं को क्षत्रिय-प्रेरित मूल्यों से प्रेरित करता है। युवा पीढ़ी को क्षत्रिय के गुणों से परिचित कराता है। सांसद और विधायक रहते हुए वे कोई व्यवसाय नहीं करते थे। उन्होंने हमेशा राजनीतिक विचारधारा से ऊपर राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी। वे उच्च कोटि के साहित्यकार भी थे। संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी एवं राजस्थानी भाषाओं के प्रकाण्ड विद्वान थे।

उन्होंने राजस्थान रा पिछोला, सामाजिक चरित्र, बदलते दृश्य, होनहारों के खेल, साधक की समस्याएं, शिक्षक की समस्याएं, जेल जीवन के संस्मरण, लापरवाह, पंछी की राम कहानी, ,एक भिखारी की आत्मकथा, श्गीता और समाज सेवा, साधना पथ जैसी पुस्तकंे लिखीं। राजस्थानी और हिंदी में कई प्रेरणादायक गीत लिखे, जिन्हें झंकार नामक पुस्तक में संकलित किया गया है। उन्होंने समाज को ऐसे सिद्धांत और संस्कार दिए, जिसमें राष्ट्रीयता को सर्वोपरि माना गया है। श्री क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक भगवान सिंह रोलसाहबसर के नेतृत्व में संस्था आज समाज के युवाओं को समाज व देश के लिए खद को समर्पित करने का कार्य कर रही है। महाराजश्री ने कहा कि तन सिंह के बताए मार्ग पर चलकर ही हम सत्य और ज्ञान को अपने जीवन में उपलब्ध कर सकते हैं। इसी से हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आएगी।

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