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चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी को ब्रह्मांड की शासक और सृष्टि की अधिष्ठात्री माना जाता हैः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज

महाराजश्री के पावन सानिध्य व अध्यक्षता में श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में चल रहे गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान के चौथे दिन मां भुवनेश्वरी की पूजा-अर्चना हुई
गाजियाबादः

सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य व अध्यक्षता में आयोजित गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान के चौथे दिन रविवार को मां की चौथी महाविद्या मां भुवनेश्वरी की पूजा-अर्चना की गई। पूजा-अर्चना के लिए कई शहरों से आए साधकों ने महाराजश्री से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद भी लिया। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि दस महाविद्याओं में चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी हैं, जिन्हें ब्रह्मांड की शासक और सृष्टि की अधिष्ठात्री माना जाता है। उन्हें राजराजेश्वरी और जगत धात्री के नाम से भी जाना जाता है। उनकी पूजा से ऐश्वर्य, ज्ञान और जीवन की समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है। कमल के फूल पर विराजमान देवी के हाथों में पाशम, अंकुशम, आशीर्वाद और भय से मुक्ति की मुद्राएं हैं।


मां भुवनेश्वरी को सृष्टि का धारण.पोषण करने वाली माना जाता है। शास्त्रों में उन्हें मूल प्रकृति भी कहा गया है। माता भुवनेश्वरी ऐश्वर्य की स्वामिनी हैं। देवी देवताओं की आराधना में इन्हें विशेष शक्ति दायक माना जाता हैं। ये समस्त सुखों और सिद्धियों को देने वाली हैं। महाराजश्री ने बताया कि मां का प्रसिद्ध भुवनेश्वरी मंदिर गुवाहाटी में नीलाचल की पहाड़ी पर स्थित है। पत्थरों से बनी इस मंदिर की संरचना कामाख्या मंदिर से काफी मिलती-जुलती है। मां भुवनेश्वरी सिद्धपीठ उत्तराखण्ड में पौड़ी गढ़वाल के बिलखेत, सांगुड़ा में स्थित है। मां की सच्चे मन से पूजा-अर्चना रकने से हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है।

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