महाराजश्री ने बताया, सावन के अंतिम सोमवार को व्रत रखने व भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक करने से पूरे सावन व सभी सोमवार के फल की प्राप्ति होगी
4 अगस्त को कई शुभ योग बनने से सावन का अंतिम सोमवार बहुत खास हो गया है
गाजियाबादः
श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि सावन मास में भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना व जलाभिषेक बहुत शुभ होता है। सभी दुख, रोग व कष्ट दूर होते हैं और भगवान दूधेश्वर की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है। 4 अगस्त को सावन का अंतिम सोमवार है, अतः भक्तों को उस दिन भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना, जलाभिषेक व रूद्राभिषेक अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान दूधेश्वर की कृपा हमेशा बनी रहेगी। महाराजश्री ने कहा कि वैसे तो सावन का प्रत्येक सोमवार ही भगवान दूधेश्वर की कृपा पाने के लिए खास होता है, मगर अंतिम सोमवार और भी खास हो जाता है। खासकर ऐसे भक्तों के लिए जो किसी कारण से सावन मास या सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना, जलाभिषेक नहीं कर पाते हैं और व्रत नहीं रख पाते हैं।























श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर(Dudheshwar Nath Mandir) के बारे में जाने
ऐसे भक्त अंतिम सोमवार को व्रत रखेंगे और भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना करेंगे तो उन्हें पूरे सावन मास व चारों सोमवार की पूजा का फल एक ही दिन में प्राप्त हो जाएगा। अतः सावप के अंतिम सोमवार को व्रत रखते हुए सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महोदव मंदिर में भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना, जलाभिषेक व रूद्राभिषेक कर भगवान की कृपा सदैव के लिए प्राप्त करें। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि सावन का अंतिम सोमवार इसलिए भी खास है, क्योंकि इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन स्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जिसे बहुत ही शुभ माना गया है। इस अवधि में की गई पूजा-अर्चना व कार्यो का बहुत शुभ फल प्राप्त होता है। ब्रहम योग, इंद्र योग, अनुराधा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र बनने से भी अंतिम सोमवार और खास रहेगा।
महाराजश्री ने बताया:-
कि सावन के अंतिम सोमवार को ब्रहम मुहूर्त में प्रातः 4 बजकर 20 मिनट से प्रातः 5 बजकर 2 मिनट, अभिजीत मुहर्त में दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक, विजय मुहर्त में दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से दोपहर 3 बजकर 36 मिनट तथा अमृत काल में सांय 5 बजकर 47 मिनट से रात्रि 7 बजकर 34 तक जलाभिषेक किया जा सकता है। वैसे सावन के अंतिम सोमवार को पूरे दिन किसी भी समय जलाभिषेक करने से भगवान दूधेश्वर की कृपा प्राप्त होगी।
ऐतिहासिक महत्व:-
दिल्ली और एनसीआर के मध्य ग़ाज़ियाबाद में स्थित है बहुत ही प्रसिद्द मंदिर जो अपने आप में ऐतिहासिक महत्व रखता है। दिल्ली और एनसीआर के मध्य ग़ाज़ियाबाद में स्थित है बहुत ही प्रसिद्द मंदिर जो अपने आप में ऐतिहासिक महत्व रखता है। जिसको सभी श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव के नाम से जानते है। स्वयंभू (जो स्वयं प्रकट हुए )श्री दूधेश्वर नाथ शिवलिंग का कलयुग में प्राकट्य सोमवार , कार्तिक शुक्ल ,वैकुन्ठी चतुर्दशी संवत् 1511 वि० तदनुसार 3 नवंबर ,1454 ई० को हुआ था | इस दिव्य लिंग की ही तरह कलियुग में इसके प्राकट्य की कथा भी बड़ी दिव्य है | अभी श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर के 16th पीठाधीश्वर श्री महंत नारायण गिरी जी है |
कलियुग में प्राकट्य पूर्व ग्राम्य क्षेत्र कैलाश का अपभ्रंश कैला गाँव श्री दूधेश्वर नाथ महादेव ज्योतिर्लिंग के निकट ही है | पुराणों में वर्णित हरनंदी (हिन्डन ) आज भी पास ही बहती है |
यह भी किसी से छिपा नहीं है कि भगवान् दूधेश्वर अपने जिस भक्त पर अति प्रसन्न होते हैं ,उसे स्वर्ण प्रचुर मात्रा में मिलता है | ऋषि विश्वेश्रवा और रावण को भी तो दूधेश्वर की पूजा-अर्चना से ही सोने की लंका प्राप्त हुई थी | इतिहास गवाह है कि भगवान् दूधेश्वर की कृपा और मठ के सिद्ध संत-महंतों के निर्मल आशीर्वाद से लाखों लोग कष्टों से मुक्ति पा चुके हैं | यह सिलसिला त्रेता युग से आज तक निरंतर जारी है |

सावन (श्रावण) मास में शिवजी को प्रसन्न करने वाले मंत्र दिए गए हैं।:-
🔱 ॐ नमः शिवाय (Panchakshari Mantra)
ॐ नमः शिवाय
अर्थ: मैं शिव को नमन करता हूँ।
➤ यह सबसे सरल, प्रभावशाली और मूल मंत्र है। सावन में इसका रोज़ 108 बार जप अत्यंत फलदायक होता है।🕉 महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥अर्थ: हम तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो सबको जीवन देने वाले, सुगंध और पोषण देने वाले हैं। जैसे ककड़ी पक जाने पर बेल से अलग हो जाती है, वैसे ही हम मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाएँ, लेकिन अमरत्व को प्राप्त करें।
🕉 रुद्राष्टक का एक श्लोक (पूरे का पाठ और भी शुभ होता है)
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं।
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम्॥➤ यह रुद्राष्टक स्तोत्र तुलसीदास जी द्वारा रचित है — सावन में रोज़ इसका पाठ करें।
🙏 सावन में शिव पूजन कैसे करें:
- सुबह स्नान कर के साफ कपड़े पहनें।
- बेलपत्र, जल, दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- उपरोक्त मंत्रों में से कोई भी चुनें और उसका जप करें (108 बार या जितना संभव हो)।
- सोमवार को व्रत रख सकते हैं।
- शिव चालीसा और शिवाष्टक भी पढ़ सकते हैं।
- भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना करें. सावन के अंतिम सोमवार को पूरे दिन किसी भी समय जलाभिषेक करने से भगवान दूधेश्वर की कृपा प्राप्त होगी।