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सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में नाग पंचमी पर भक्तों की भीड लगी

भगवान दूधेश्वर व नाग देवता की पूजा अर्चना कर भक्तों ने मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज से आशीर्वाद लिया
नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा-अर्चना करने से कालसर्प समेत सभी दोषों से मुक्ति मिलती हैः
गाजियाबादः
नागपंचमी के पर्व पर मंगलवार को सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में भक्तों की भीड लगी रही। भक्तों ने नाग देवता की पूजा-अर्चना के साथ भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना की व उनका जलाभिषेक किया। पूजा-अर्चना का सिलसिला प्रातः 4 बजे से ही शुरू हो गया। भक्तों ने पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज से भेंटकर उनका आशीर्वाद भी लिया। महाराजश्री ने कहा किनाग पचंमी का पर्व सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व शिवभक्तों के लिए बेहद महत्व रखता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शिवलिंग के जलाभिषेक और नाग देवता का पूजन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।

कुंडली में जो अन्य दोष होते हैं, वे भी दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में शांति, समृद्धि आती है और संकटों से मुक्ति मिलती है। इसी कारण मंगलवार को नाग पंचमी पर मंदिर में प्रातः 4 बजे से ही पूजा-अर्चना शुरू हो गई। कालसर्प दोष निवारण के लिए बहुत से भक्तों ने चांदी का नाग भी अर्पित किया। आठ प्रकार के नागों की पूजा-अर्चना मंगलवार को की गई। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि इस बार नाग पचंमी पर शिव योग व सिद्ध योग जैसे खास योग बनने से यह पर्व और भी खास व फलदायी बन गया है। इन शुभ योगों में की गई पूजा-अर्चना से नाग देवता के साथ भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव के गले में नाग देवता विराजमान रहते हैं। वहीं भगवान विष्णु तो शेषनाग पर ही विराजमान रहते हैं। शेषनाग के फन पर ही यह पूरी पुथ्वी टिकी हुई है। इसी कारण सनातन धर्म में नागों की पूजा का इतना अधिक महत्व है। नाग पचंमी पर पूजा-अर्चना करने से नाग देवता हमारे सभी कष्टों को दूर कर देते हैं।

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