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वाल्मीकि रामायण ने भगवान राम के सद्गुणों का उच्चतम आदर्श प्रस्तुत किया हैः वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज

वाल्मीकि रामायण का श्रवण करने मात्र से ही हर प्रकार के कष्ट व पाप नष्ट हो जाते हैंः श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज
श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में राम कथा से शुरू हुआ संत सनातन कुंभ राम कथा से पूर्व मंदिर से कलश यात्रा निकाली गई

गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में ब्रह्मलीन श्रीमहन्त गौरी गिरी महाराज व ब्रह्मलीन सिद्ध गुरु मूर्तियों की पुण्य स्मृति में आयोजित 10 दिवसीय संत सनातन कुंभ सोमवार से बाल्मीकि राम कथा से शुरू हो गया। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरी के पावन सान्निध्य में सोमवार को बडी संख्या में भक्तों ने राम कथा करा आनंद लिया। राम कथा से पूर्व मंदिर से कलश यात्रा शुरू हुई जिसमें 108 महिलाएं कलश सर पर रखकर चल रही थीं। बडी संख्या में भक्तों के अलावा श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज, कथा व्यास वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज, स्वामी राघवेंद्र दास महाराज भी कलश यात्रा में शामिल हुए। कलश यात्रा ने दिल्ली गेट, चौपला मंदिर, अग्रसेन बाजार, घंटाघर व जीटी रोड होते हुए मंदिर पर ही विश्राम लिया। यात्रा का अनेक स्थानों पर स्वागत हुआ।

राम कथा के यजमान भाजपा के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा व धर्मयात्रा महासंघ के अध्यक्ष विकास बंसल ने वाल्मीकि रामायण व भगवान राम की पूजा-अर्चना की। पूजा-अर्चना श्री दूधेश्वर वेद विद्यालयों के आचार्यो ने कराई। कथा व्यास वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मॠषि वेदांती महाराज ने कहा कि वाल्मीकि रामायण विश्व का पहला महाकाव्य है, इसी कारण इसे आदि महाकाव्य भी कहा जाता है। महर्षि वाल्मीकि कवियों के प्रथम सृष्टि पुरुष हुए, इसी कारण वे आदि कवि कहलाए। संस्कृत भाषा के शब्दकोश में कवि का अर्थ ही वाल्मीकि दिया गया है। दयालु मनुष्य, अभिमानशून्य व्यक्ति, परोपकारी और जितेंद्रीय ये चार पवित्र स्तंभ इस पृथ्वी को धारण किए हुए हैं। ये चारों गुण एक साथ मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र में समाहित होकर पृथ्वी की धारण शक्ति बन गए हैं। राम के इन्हीं वैयक्तिक सद्गुणों का उच्चतम आदर्श वाल्मीकि रामायण ने समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया है। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि राम कथा के पहले व्यास भगवान शिव हैं। उन्होंने ही सबसे राम कथा की अमृत धारा प्रवाहित की थी। महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम के दिव्य गुणों का वर्णन वाल्मीकि रामायण के माध्यम से कर मानव मात्र ही नहीं हर जीव के लिए कल्याण का मार्ग खोल दिया है। इस महाकाव्य का श्रवण करने मात्र से ही हर प्रकार के कष्ट व पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त हो जाता है।

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