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श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने शरद पूर्णिमा पर पवित्र हाथियों व समुद्र तट के दर्शन किए

महाराजश्री 8 अक्टूबर को त्रिशूर में होने वाले महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे

केरलः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दिल्ली संत मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने शरद पूर्णिमा पर समुद्र तट का भ्रमण किया। साथ ही हाथियों के अभ्यारण्य में जाकर उन पवित्र हाथियों के दर्शन किए, जो विश्व प्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर में विराजमान भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को बैठाकर मंदिर की परिक्रमा लगाते हैं।

शरद पूर्णिमा पर्व पर :-

महाराजश्री ने कहा कि शरद पूर्णिमा के पर्व पर गुरुवायूर के समुद्र तटों का नजारा अलग ही था। ऐसा लग रहा था, मानो समुद्र तट पर भगवान के स्वागत में अमृत बरस रहा हो। अभ्यारण्य में जाकर विश्व प्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर की परिक्रमा लगाने वाले हाथियों के दर्शन करने से अत्यंत सुखद अनुभूति हुई। वहां लगभग 40 हाथी हैं, और ये भगवान को बैठाकर प्रतिदिन मंदिर की परिक्रमा लगाते हैं। यह उन पर भगवान कृष्ण की कृपा ही है, जिससे उन्हें यह दिव्य सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।

निमंत्रण:-

महाराजश्री को 8 अक्टूबर को त्रिशूर में मारवाड़ी समाज द्वारा आयोजित किए जाने वाले महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का निमंत्रण भी दिया गया। यह निमंत्रण उन्हें सुरेंद्र सिंह चंपावत, मोहन सिंह, प्रवीण सिंह पादरू, सुजाराम पटेल पाणवा, दशरथ सिंह राव, उम्मेद सिंह देवड़ा आदि ने दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। महोत्सव में महाराजश्री का भव्य स्वागत-अभिनंदन किया जाएगा।

श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया:-

श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि केरल की भूमि को हरिहर, यानी भगवान विष्णु और भगवान शिव की धरती कहा जाता है। त्रिशूर समेत पूरे केरल में भगवान विष्णु व भगवान शिव की पूजा-अर्चना बहुत ही भक्ति-भाव से की जाती है। त्रिशूर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनमें वडक्कुमनाथन मंदिर, थिरुवंबाडी श्रीकृष्ण मंदिर और परमेक्कावु मंदिर प्रमुख हैं।

त्रिशूर को उत्सवों के शहर के रूप में जाना जाता है और अपने सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व धार्मिक झुकाव के कारण इसे केरल की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। यहां के पुराने मंदिरों के आंतरिक गर्भगृह में वडक्कुमनाथन का मंदिर, महाविष्णु का मंदिर और शंकरनारायण का मंदिर शामिल हैं। यहां पूजा-अर्चना करने के लिए देश-विदेश से भक्त आते हैं।

1 Comment

  • Purshottam Lal Gour
    October 6, 2025

    Om namo narayan

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