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गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में मां बगलामुखी की पूजा-अर्चना की गई

मां की आराधना से विद्या, लक्ष्मी, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य, संतान व सुख की प्राप्ति होती हैः श्रीमहंत नारायण गिरि
गाजियाबादः
श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में गुप्त नवरात्रि के पंचम दिन बुधवार को पंचम महाविद्या मां वगुलामुखी की आराधना की गई। पंचम दिवस मां वगुला की आराधना के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड लगी रही। मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि के पावन सानिध्य में मां की विधि-विधान से पूजा.अर्चना की गई व उनका ध्यान लगाया गया। आरती के बाद उनको पीत वर्ण केसर युक्त व्यंजनों का भोग लगाया गया। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि दस महाविद्याओं में पंचम दिवस मां वगुलामुखी की पूजा-अर्चना की जाती है।

पीला रंग प्रिय होने के कारण इन्हें पीतांबरा के नाम से भी जाना जाता है। मां की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा आराधना करने की बाद हुई थी। त्रेतायुग में मां बगलामुखी को रावण की ईष्ट देवी के रूप में भी पूजा जाता था। रावण ने शत्रुओं का नाश कर विजय प्राप्त करने के लिए मां की पूजा की थी। लंका विजय के दौरान जब इस बात का पता भगवान श्रीराम को लगा तो उन्होंने भी मां बगलामुखी की आराधना की थी। बगलामुखी माता में इतनी शक्ति है कि जो भाग्य में लिखी चीजों को भी बदल देती हैं। बगलामुखी देवी बाएं हाथ से शत्रुओं की जिह्वा का अग्रभाग तथा दाएं हाथ में मुद्गर पकड़े हुए शत्रुओं का नाश करने वाली हैं।

मां बगलामुखी माता के स्तोत्र का श्रवण तथा पाठ करने से साधक को विद्या, लक्ष्मी, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य, संतान सुख आदि की प्राप्ति होती है। मां बगलामुखी की साधना करने से कोर्ट.कचहरी के मामलों और राजनीति के मुकाबलों में विजय की प्राप्ति होती हैं। भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर पांडवों ने भी महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए मां बगलामुखी की आराधना की थी।
बगलामुखी बीज मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।।

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