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मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी-शारदीय नवरात्रि 2022 द्वितीय दिवस

जय दूधेश्वर महादेव 
[शारदीय नवरात्रि 2022 द्वितीय दिवस ]
आज नवरात्रि के अवसर पर  जसोल धाम बालोतरा राजस्थान में शतचंडी यज्ञ पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के सानिध्य में एवं उपस्थिति में आचार्य अभिषेक जोशी जी के नेतृत्व में ब्राह्मणों के द्वारा मुख्य यजमान रावल किशन सिंह जी,कुंवर हरिश्चन्द्र सिंह जी के उपस्थिति में आज द्वितीय दिवस पर प्रातः काल माता राणी भटियाणी माता के पूज्य गुरुदेव ने दर्शन किया रावल मल्लीनाथ के दर्शन ,राणी रूपांदे माता पालियान ,जसोल गढ़ में आचार्य तोयराज उपाध्याय जी, आचार्य विकास पाण्डेय जी के द्वारा पाठ पूजन चल रहा है , कोटेश्वर महादेव गुडा सिवाना राजस्थान में महन्त सत्यम गिरि जी के स्थान पर महाराज श्री के पावन सानिध्य में प्रातः काल पाठ पूजन यज्ञ , सायंकाल यज्ञ चल रहा है , मध्यान्ह 2 बजे से 5 बजे तक श्री राम विचार जी महाराज के द्वारा कथा का भक्तिरस प्रवाहित हो रहा है , सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में महाराज श्री के निर्देशन एवं अध्यक्षता में आचार्य नित्यानंद जी द्वारा पूजन पाठ चल रहा है ,

दूधेश्वर मन्दिर की शाखा:-

दूधेश्वर मन्दिर की शाखा प्राचीन मठ माता श्री बाला त्रिपुरा सुन्दरी देवी मठ मन्दिर दिल्ली गेट गाजियाबाद के महन्त गिरिशानन्द गिरि जी के द्वारा  राम मनोहर अग्निहोत्री जी    ब्राह्मणों द्वारा पूजन पाठ हवन चल रहा है ,जिसमें महन्त विजय गिरि जी शिव मन्दिर पटेल नगर , शैलेन्द्र गिरि जी,रमेशानन्द गिरि जी एवं अन्य सन्तों द्वारा सायंकाल यज्ञ चल रहा है , श्रीधाम वृन्दावन में महन्त वी पी गिरि जी के उपस्थिति में दूधेश्वर वेद विद्यालय के ब्राह्मणों द्वारा शतचंडी पाठ चल रहा है , पूज्य गुरुदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज के अध्यक्षता 5 स्थानों पर शतचंडी पाठ हवन यज्ञ चल रहा है , महाराज श्री जसोल धाम में रावल किशन सिंह जी के निवेदन पर जसोल में विराज रहे हैं , महाराज शतचंडी अनुष्ठान जसोल धाम चल रहा है महाराज श्री के आचार्य तोयराज उपाध्याय जी, आचार्य विकास पाण्डेय जी,दिपांकर पाण्डेय जी ,दिपक भट्ट जी महाराज श्री के साथ शतचंडी यज्ञ अनुष्ठान में उपस्थित हैं ,

मां भगवती का द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी:-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। 

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥  

मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।  ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं। पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी।

इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं।इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। 


    हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिवअमित कुमार शर्माश्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश

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