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खरण्टिया मठ में आयोजित जूना अखाडे के अखिल भारतीय संत सम्मेलन में श्रद्धाभाव से मनाई गई शंकराचार्य जयंती

श्री आदि शंकराचार्य ने हिन्दू संस्कृति को पुनर्जीवित करने का कार्य कियाः जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज
आदि शंकराचार्य के अथक प्रयासों के चलते ही सनातन धर्म में नव चेतना जागृत हुईः श्रीमहंत हरि गिरि महाराज
आदि शंकराचार्य ने हिंदू धर्म को मजबूत करने के लिए चार मठों की स्थापना कीः श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज
आदि शंकराचार्य हिंदुओं के सबसे बड़े धर्माचार्य हैंः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज
राजस्थानः
खरण्टिया मठ समदङी सिवाना बालोतरा में आयोजित जूना अखाडे के अखिल भारतीय संत सम्मेलन में रविवार को शंकराचार्य जयंती मनाई गई। धर्म सभा का आयोजन भी किया गया जिसमें देश भर से आए संतों ने भाग लिया और सनातन धर्म को एकजुट करने के लिए हरसंभव प्रयास करने का निर्णय लिया गया। प्रातः गणेश पूजन के बाद कलश पूजन, नवग्रह पूजन, षोडश पूजन, शंकराचार्य पूजन, समाधि पूजन, शंकराचार्य अभिषेक, अन्नपूर्णा पूजन, भगवान दत्तात्रेय पूजन, हनुमान पूजन, भगवान शिव पूजन, भगवान राम-सीता पूजन, भगवान कृष्ण-राधा, भगवान लक्ष्मी नारायण समेत सभी देवी-देवताओं, नवग्रह पूजन, क्षेत्रपाल देवता पूजन हुआ।

अन्नपूर्णा यज्ञ व अन्नपूर्णा स्त्रोत्र:-

अन्नपूर्णा यज्ञ व अन्नपूर्णा स्त्रोत्र पाठ का आयोजन भी किया गया। जोगेंद्र भारती व अन्य गुरू मूर्तियों की समाधि का पूजन कर 100 किलो फल का भोग लगाया गया। मुख्य अतिथि ऊर्ध्वाम्नाय श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि आदि शंकराचार्य महान भारतीय गुरु तथा दार्शनिक थे। उन्होंने नए ढंग से हिंदू धर्म का प्रचार.प-रसार किया और लोगों को सनातन धर्म का सही अर्थ समझाया। श्री आदि शंकराचार्य ने प्राचीन भारतीय उपनिषदों के सिद्धांत और हिन्दू संस्कृति को पुनर्जीवित करने का कार्य किया। साथ ही उन्होंने अद्वैत वेदान्त के सिद्धान्त को प्राथमिकता से स्थापित किया। उन्होंने धर्म के नाम पर फैलाई जा रही तरह-तरह की भ्रांतियों को मिटाने का काम किया। उनका जीवन मानव मात्र के लिए प्रेरणा का स्रोत है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि आदि शंकराचार्य भगवान शंकर के अवतार हैं। उन्होंने सनातन धर्म के जीर्णोद्धार हेतु अथक प्रयास किए।

आदि शंकराचार्य के अथक प्रयासों के चलते ही सनातन धर्म में नव चेतना जागृत हुई। जूना अखाड़ा के वर्तमान अंतरराष्ट्रीय सभापति अध्यक्ष प्रेम गिरि महाराज ने कहा कि श्री आदि गुरु शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के प्रचार.प्रसार के लिए चार अलग दिशाओं में चार मठों की स्थापना की। उत्तर दिशा में बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ, पश्चिम दिशा में द्वारका में शारदा मठ, पूर्व दिशा में जगन्नाथ पुरी में गोवर्धन मठ और दक्षिण दिशा में श्रंगेरी मठ आदि शंकराचार्य की ही देन है। श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि आदि शंकराचार्य हिंदुओं के सबसे बड़े धर्माचार्य हैं। आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य किया था।

धार्मिक और आध्यात्मिक एकता:-

देश को धार्मिक और आध्यात्मिक एकता के लिए उन्होंने उत्तर भारत में बदरीनाथ धाम में दक्षिण भारत के पुजारी को रखा। दक्षिण भारत में रामेश्वरम में उत्तर भारत के पुजारी को रखा। पूर्वी भारत के धाम जगन्नाथ मंदिर में पश्चिम भारत के पुजारी और पश्चिम भारत के द्वारका मंदिर में पूर्वी भारत के पुजारी को रखा। ऐसा करके उन्होंने भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक को मजबूती देने के साथ पूरे देश को एकता के सूत्र में बांध दिया था। दशनामी संन्यासी अखाड़ों की स्थापना में भी उनका ही अहम योगदान था। सभी धार्मिक आयोजन जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता व निर्देशानुसार तथा श्रीमहंत निरंजन भारती महाराज, श्रीमहंत मोहन भारती महाराज, पूर्व सभापति श्रीमहंत उमाशंकर भारती महाराज की देख-रेख में हो रहे हैं।

हजारों संत व श्रद्धालु मौजूद रहे

श्रीमहंत 16 मणि के केदारपुरी महाराज, श्रीमहंत शिवानंद सरस्वती महाराज, 14 मणि के श्रीमहंत रामचंद गिरि महाराज, 13 मणि के श्रीमहंत मोहन गिरि महाराज, 16 मणि के श्रीमहंत शिवपुरी महाराज, श्रीमहंत तीर्थ गिरि महाराज, श्रीमहंत योगानंद गिरि महाराज, श्रीमहंत सत्य चेतन गिरि महाराज, सचिव श्रीमहंत महेश पुरी महाराज, महंत शैलेंद्र गिरि महाराज, श्रीमहंत गणपत गिरि महाराज, 16 मणि के श्रीमहंत जगदीश पुरी महाराज, लहर भारती महाराज, बाबू गिरि महाराज, प्रेम भारती महाराज, शिवपुरी महाराज रवि भारती महाराज, शनिश्चर भारती महाराज, श्रीमहंत आनंदेश्वरानंद गिरि महाराज मोती बाग दिल्ली, आनंदपुरी महाराज महंत गिरिशानंद गिरि महाराज, चेतनानंद गिरि महाराज, आदित्य गिरि महाराज, अष्टकौशल महंत योगेशवरानंद महाराज, रमतेराम पंच के धुत पुरी महाराज, महंत जगराम पुरी महाराज, वेदव्यास पुरी महाराज, लवकुश पुरी महाराज समेत हजारों संत व श्रद्धालु मौजूद रहे। सभी का खरण्टिया मठ के महंत किशन माारती महाराज ने स्वागत किया। सभी संत सारणेश्वर महादेव मठ भलों का वाड़ा समदङी में ठहरे हुए हैं और सारणेश्वर महादेव पूजन कर रहे हैं। मठ के महंत हरि भारती महाराज सभी संतों की सेवा कर रहे हैं।

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