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श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने अनेक सिद्ध तपस्वी संतों से भेंटकर धर्म चर्चा की और राष्ट्र चिंतन किया।

विश्व प्रसिद्ध श्री राणी भटियाणी मंदिर, कानीवाड़ा हनुमान मंदिर समेत अनेक मंदिरों में पूजा-अर्चना भी की। महाराजश्री ने कहा, मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

राजस्थान:
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दिल्ली संत मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने आठ दिवसीय संत मिलन एवं देव दर्शन यात्रा के दौरान विश्व प्रसिद्ध श्री राणी भटियाणी मंदिर, रूपा दे, मल्लिनाथ मंदिर और 800 साल पुराने तथा आस्था और चमत्कार के प्रतीक श्री कानीवाड़ा हनुमान मंदिर में देव दर्शन-पूजन किया। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि कानीवाड़ा हनुमान मंदिर राजस्थान के जालोर से करीब 12 किलोमीटर दूर एक ऐसा मंदिर है, जहां आस्था हर सीमा को पार कर जाती है। यहां कानीवाड़ा बालाजी की एक ऐसी प्रकट प्रतिमा है, जो पाताल लोक से स्वयंभू रूप में ज़मीन से प्रकट हुई है। आज तक इस प्रतिमा पर छत नहीं डाली जा सकी। तीन बार प्रयास हुए और हर बार छत बिखर गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मंदिर को सामाजिक समरसता और एकता का प्रतीक बता चुके हैं।

उन्होंने कई प्रमुख व सिद्ध संतों से भेंटकर उनके साथ धर्म चर्चा, समाज और राष्ट्र चिंतन किया। महाराजश्री ने श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान के संयोजक कुंवर हरिश्चंद्र सिंह के साथ श्री ब्रह्म सावित्री धाम के पीठाधीश्वर श्री 1008 तुलसाराम महाराज से भेंटकर धर्म चर्चा की और समाज-राष्ट्र चिंतन कर नवरात्र पर्व के दौरान मां की उपासना किस प्रकार की जाए, इस पर भी चर्चा की। साथ ही उनके उत्तराधिकारी ध्यानाराम महाराज से भी भेंट की।

100 वर्ष से अधिक आयु वाले सिद्ध तपस्वी :-

महाराजश्री ने कुंवर हरिश्चंद्र सिंह के साथ लेठा मठ के पीठाधीश्वर, जालोर के प्रसिद्ध सिद्ध संत महंत रणछोड़ भारती महाराज से भेंटकर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और उनके साथ धर्म चर्चा भी की। महाराजश्री ने श्री सारनेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन किया। इस पुण्य बेला पर उन्होंने कुंवर हरिश्चंद्र सिंह के साथ 100 वर्ष से अधिक आयु वाले सिद्ध तपस्वी संत श्री शंकर स्वरूप ब्रह्मचारी महाराज से भेंट की।

श्री राणी भटियाणी मंदिर में श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य और अध्यक्षता में मां के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता और मां राणी भटियाणी की पूजा-अर्चना की गई। मां के जयकारों से मंदिर परिसर ही नहीं, आसपास का क्षेत्र भी मां के रंग में रंग गया। शनिवार को पूजा-अर्चना, दुर्गा सप्तशती पाठ सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर के प्राचार्य तोयराज उपाध्याय, वरिष्ठ आचार्य नित्यानंद आचार्य तथा उनके सहयोगी वैदिकों द्वारा कराया गया। कन्या पूजन श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान के संयोजक कुंवर हरिश्चंद्र सिंह की ओर से कराया गया।

भक्तों ने महाराजश्री से भेंटकर उनका आशीर्वाद लिया। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि श्री राणी भटियाणी मंदिर में नवरात्र पर्व के दौरान मां की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को मां की कृपा की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और संतान की दीर्घायु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। मां के मुख पर सूर्य के समान तेज होता है और पीले रंग के वस्त्र में उनके दर्शन करने से मन को शांति प्राप्त होती है। श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान के अध्यक्ष रावल किशन सिंह व संयोजक कुंवर हरिश्चंद्र सिंह की ओर से मंदिर में नवरात्र पर्व पर देश-विदेश से आ रहे भक्तों के लिए उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं की सभी सराहना कर रहे हैं। रूपा दे, मल्लिनाथ, गढ़ और शिव तालाब में भी महाराजश्री के पावन सानिध्य में हो रहे नवरात्र महोत्सव में शनिवार को देवी भक्तों की भीड़ लगी रही।

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