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सभी ग्रंथों व शास्त्रों का सार श्रीमद भागवत गीता ही हैः श्रीमहंत नारायण गिरि


महाराज श्री बोलेए गीता रूपी ज्ञान गंगोत्री में डूबकी लगाने से ज्ञान मिलने के साथ सभी कष्टों से बंधनों से भी मुक्ति मिलती है
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य में श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में धूमधाम से मनी गीता जयंती
श्री दूधेश्वर वेद विद्या पीठ विद्यार्थियों ने गीता का पाठ किया
गाजियाबादः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में आज गीता जयंती धूमधाम से मनाई गई। मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य में श्री दूधेश्वर वेद विद्यापीठ के विद्यार्थियों ने गीता का पाठ किया। गीता ग्रंथ की पूजा भी की गई। मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा.अर्चना की गई। गीता का पाठ श्री दूधेश्वर वेद विद्यापीठ के विद्यार्थियों ने कराया। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गीता का स्थान सर्वोच्च है। भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकला गीता का ज्ञान ऐसा ज्ञान है, जिससे समस्त विश्व आलौकित हो रहा है और सदा होता रहेगा। गीता सिर्फ उपदेश नहीं है, वरन यह तो सम्पूर्ण जीवन का निचौड है। जीवन का पूरा सार ही गीता के उपदेश में छिपा है। यह भी कहा जा सकता है कि सभी शास्त्रों का सार गीता ही है। गीता रूपी ज्ञान-गंगोत्री में डूबकी कर अज्ञानी सद्ज्ञान को प्राप्त करता है। पापी पाप.ताप से मुक्त होकर संसार सागर को पार कर जाता है और मोह-माया में फंसा मुनष्य सभी प्रकार के बंधनों से मुक्ज होकर कल्याण की प्राप्ति कर लेता है। महाराजश्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा महाभारत के युद्ध के दौरान मोह-माया में फंसे अर्जुन को गीता का ज्ञान देने का असली उददेश्य पूूरे विश्व को इस अमूल्य ज्ञान से प्रकाशित कर समस्त मानवता का कल्याण करना था। कथा-प्रवचनों से लेकर घर-घर तक जीवन सुधार को लेकर जो उपदेश दिए जाते हैं,

नीति-नियमों का जो भी ज्ञान दिया जाता हैए उसका मूल गीता का ज्ञान ही होता है। धरती पर शायद ही ऐसा कोई स्थान हो, जो गीता के प्रभाव से मुक्त हो। भारत भूमि तो उसके स्पर्श से धन्य हो गई है, तभी तो साधु.संतों के अंर्तमन गीता के श्लोक वीणा की झंकार की तरह हमेशा झंकृत रहते हैं। श्रीमद भगवत गीता विश्व का एकमात्र ऐसा ग्रंथ हैए जिसकी जयंती मनाई जाती है। इसका कारण यह है कि गीता ग्रंथ का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के मुख से हुआ है। गीता के सभी श्लोक श्रीकृष्ण के मुख से निकले हैं। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है, के दिन ही अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसी कारण मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन उपवास कर भगवान विष्णु की पूजा.अर्चना करने से भगवान विष्णु की कृपा से सभी दुख-कष्ट व बंधन से छुटकारा मिलता है और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी पर गीता का पाठ पढने से से दुख प कष्ट दूर होने के साथ सुख.सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पूर्वजों को भी मोक्ष मिल जाता है।

2 Comments

  • Sandeep Suryawanshi
    December 12, 2024

    Geeta Jayanti ki ardik subh kamnaye
    Rastriya granth ki jai ho
    Om Namoh Narayana Swami ji

  • Jyotendra Gaur
    December 12, 2024

    चरण नमन गुरुदेव🙏🙏
    गीता जयंती की शुभकामनाएँ एवं बधाई

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