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तीन दिवसीय तीर्थराज प्रयाग परिक्रमा 16 जनवरी से 18 जनवरी को त्रिवेणी संगम में पूजन आचमन लेकर यात्रा पूर्ण

जय दूधेश्वर महादेव
आज तीन दिवसीय परिक्रमा के तृतीय अन्तिम दिवस के अवसर पर परिक्रमा श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नेतृत्व एवं दिशानिर्देश में आज सम्पन्न हुई जिसमें आज तृतीय दिवस के अवसर पर प्रातः काल त्रिवेणी संगम में स्नान करके एवं संगम में पूजन करके एवं कलश में संगम का जल भरकर महर्षि भारद्वाज का पूजन अभिषेक किया.

 महर्षि भारद्वाज:-  व्याकरण, आयुर्वेद संहित, धनुर्वेद, राजनीतिशास्त्र, यंत्रसर्वस्व, अर्थशास्त्र, पुराण, शिक्षा आदि पर अनेक ग्रंथों के रचयिता हैं। पर आज यंत्र सर्वस्व तथा शिक्षा ही उपलब्ध हैं। वायुपुराण के अनुसार उन्होंने एक पुस्तक आयुर्वेद संहिता लिखी थी, जिसके आठ भाग करके अपने शिष्यों को सिखाया था। चरक संहिता के अनुसार उन्होंने आत्रेय पुनर्वसु को कायचिकित्सा का ज्ञान प्रदान किया था।*ऋषि भारद्वाज को प्रयाग का प्रथम वासी माना जाता है अर्थात ऋषि भारद्वाज ने ही प्रयाग को बसाया था। प्रयाग में ही उन्होंने घरती के सबसे बड़े गुरूकुल(विश्वविद्यालय) की स्थापना की थी और हजारों वर्षों तक विद्या दान करते रहे। वे शिक्षाशास्त्री, राजतंत्र मर्मज्ञ, अर्थशास्त्री, शस्त्रविद्या विशारद, आयुर्वेेद विशारद,विधि वेत्ता, अभियाँत्रिकी विशेषज्ञ, विज्ञानवेत्ता और मँत्र द्रष्टा थे। ऋग्वेेद के छठे मंडल के द्रष्टाऋषि भारद्वाज ही हैं। इस मंडल में 765 मंत्र हैं। अथर्ववेद में भी ऋषि भारद्वाज के 23 मंत्र हैं।

वैदिक ऋषियों में इनका ऊँचा स्थान है। आपके पिता वृहस्पति और माता ममता थींऋषि भारद्वाज को आयुर्वेद और सावित्र्य अग्नि विद्या का ज्ञान इन्द्र और कालान्तर में भगवान श्री ब्रह्मा जी द्वारा प्राप्त हुआ था। अग्नि के सामर्थ्य को आत्मसात कर ऋषि ने अमृत तत्व प्राप्त किया था और स्वर्ग लोक जाकर आदित्य से सायुज्य प्राप्त किया था।सम्भवतः इसी कारण ऋषि भारद्वाज सर्वाधिक आयु प्राप्त करने वाले ऋषियों में से एक थे। चरक ऋषि ने उन्हें अपरिमित आयु वाला बताया है। *ऋषि भारद्वाज ने प्रयाग के अधिष्ठाता भगवान श्री माधव जो साक्षात श्री हरि हैं, की पावन परिक्रमा की स्थापना भगवान श्री शिव जी के आशीर्वाद से की थी। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री द्वादश माधव परिक्रमा सँसार की पहली परिक्रमा है।

ऋषि भारद्वाज ने इस परिक्रमा की तीन स्थापनाएं दी हैं-

  1. जन्मों के संचित पाप का क्षय होगा, जिससे पुण्य का उदय होगा।
  2. सभी मनोरथ की पूर्ति होगी।
  3. प्रयाग में किया गया कोई भी अनुष्ठान/कर्मकाण्ड जैसे अस्थि विसर्जन, तर्पण, पिण्डदान, कोई संस्कार यथा मुण्डन यज्ञोपवीत आदि, पूजा पाठ, तीर्थाटन,तीर्थ प्रवास, कल्पवास आदि पूर्ण और फलित नहीं होंगे जबतक स्थान देेेेवता अर्थात भगवान श्री द्वादश माधव की परिक्रमा न की जाए।

इसलिए श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज ने प्राचीन परम्परा को जीवंत रखने के लिये मेला प्रशासन पुलिस प्रशासन एवं उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्ण सहयोग से अकबर के द्वारा बन्द की गई इस पावन पतित फलदाई यात्रा का पुनः प्रारम्भ करवाया जिसमें सन्तों के समुह के साथ भक्त गण भी प्रयाग के प्राचीन मन्दिर देवालायो के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं ,एवं सभी मन्दिरों का उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री महन्त श्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज के दिशानिर्देश में निरन्तर प्राचीन संस्कृति हमारे सनातन की धरोहर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है ,

आज यात्रा के तृतीय दिवस पर प्रयाग के प्रथम वासी महर्षि भारद्वाज जी का सन्तों ने संगम के जल से अभिषेक किया ,सेक्टर 1 म घर मेला कैम्प में बालकिशन जी,मेला प्रशासन के चण्डिका प्रसाद त्रिपाठी जी ,एस डी एम आशुतोष राय जी, पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने   सन्तों का स्वागत किया ,श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज का वक्तव्य रहा ,इसके साथ यात्रा का विश्राम संगम स्थित श्री दत्तात्रेय शिविर में सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भोजन प्रसादी के साथ पूर्ण होगा ,आज यात्रा में उपस्थित जगद् गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज काशी सुमेरु पीठ,हिमालय योगी महामण्डलेश्वर स्वामी विरेन्द्रानन्द गिरि जी महाराज,श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा अध्यक्ष हिन्दू युनाईटेड फ्रंट दिल्ली,महन्त चैतन्यानन्द गिरि जी होशियारपुर पंजाब , सैक्रेटरी चेतन पुरी जी प्रयागराज, थानापति नीलकंठ गिरि जी,किन्नर अखाड़ा के महामण्डलेश्वर श्री भवानी नन्द गिरि जी , महामण्डलेश्वर कौशल्या नन्द गिरि जी , महामण्डलेश्वर पवित्रा नन्द गिरि जी ,एवं अन्य सन्तों एवं पुलिस प्रशासन मेला प्रशासन के अधिकारियों के उपस्थिति में तीन दिवसीय परिक्रमा विश्राम।


    हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिवअमित कुमार शर्माश्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मन्दिर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश

1 Comment

  • स्वामी शरणानंद जी महाराज
    January 18, 2023

    महादेव पार्वती पते हर हर महादेव हर हर महादेव जय मां भवानी

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