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आज त्र्यंबकेश्वर नाशिक महाराष्ट्र में महाराष्ट्र सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री ,ग्रामीण विकास के कैबिनेट मंत्री गिरिश महाजन जी

जय दूधेश्वर महादेव
आज त्र्यंबकेश्वर नाशिक महाराष्ट्र में  महाराष्ट्र सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री ,ग्रामीण विकास के कैबिनेट मंत्री गिरिश  महाजन जी ने श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज महामंत्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साथ नीलकंठ महादेव का अभिषेक पूजन किया ,नील अम्बिका मां का पूजन किया गुरूदत्तात्रेय जी का पूजन किया ,प्राचीन तीर्थ नीलगंगा का जीर्णोद्धार, भगवान परशुराम जी की मुर्ति बनाने के लिये दर्शन पूजन करवाया ,साथ ही श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद, तोतापुरी जी , नीलकंठ गिरि जी ,अजय पुरी जी , इच्छा गिरि जी ,जूना अखाड़ा के पुरोहित त्रिविक्रम जोशी जी की उपस्थिति रही ,

साथ सायंकाल पूज्य महाराज श्री ने द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर महादेव के सांयकाल श्रृंगार आरती से पूर्व अभिषेक पूजन किया , त्र्यंबकेश्वर महादेव के पुरोहित उल्हास आराधी हरिओम पंडित जी ने पूजन अभिषेक करवाया साथ ही पूज्य गुरुदेव ने संन्ध्या आरती में भाग लिया महाराज श्री के साथ श्री मां तुल्जाभवानी मठ के महन्त इच्छा गिरि जी सोलापुर महाराष्ट्र भी उपस्थित थे , महाराज श्री कल श्रीमहन्त सागरानन्द सरस्वती जी महाराज श्रीपंचायती आनन्द अखाड़ा जो कि 8 अक्टूबर को ब्रह्मलीन हो गये थे ,उनका षोड़शी भण्डारा कल 23अक्टूबर को उनके षोडशी भण्डारा में पूज्य गुरुदेव की उपस्थिति रहेगी ,त्र्यंबकेश्वर महादेव मन्दिर संक्षिप्त इतिहास:

इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना के विषय में शिवपुराण में यह कथा वर्णित है-
एक बार महर्षि गौतम के तपोवन में रहने वाले ब्राह्मणों की पत्नियाँ किसी बात पर उनकी पत्नी अहिल्या से नाराज हो गईं। उन्होंने अपने पतियों को ऋषि गौतम का अपमान करने के लिए प्रेरित किया। उन ब्राह्मणों ने इसके निमित्त भगवान्‌ श्रीगणेशजी की आराधना की।
उनकी आराधना से प्रसन्न हो गणेशजी ने प्रकट होकर उनसे वर माँगने को कहा उन ब्राह्मणों ने कहा- ‘प्रभो! यदि आप हम पर प्रसन्न हैं तो किसी प्रकार ऋषि गौतम को इस आश्रम से बाहर निकाल दें।’ उनकी यह बात सुनकर गणेशजी ने उन्हें ऐसा वर न माँगने के लिए समझाया। किंतु वे अपने आग्रह पर अटल रहे।


अंततः गणेशजी को विवश होकर उनकी बात माननी पड़ी। अपने भक्तों का मन रखने के लिए वे एक दुर्बल गाय का रूप धारण करके ऋषि गौतम के खेत में जाकर रहने लगे। गाय को फसल चरते देखकर ऋषि बड़ी नरमी के साथ हाथ में तृण लेकर उसे हाँकने के लिए लपके। उन तृणों का स्पर्श होते ही वह गाय वहीं मरकर गिर पड़ी। अब तो बड़ा हाहाकार मचा।
सारे ब्राह्मण एकत्र हो गो-हत्यारा कहकर ऋषि गौतम की भर्त्सना करने लगे। ऋषि गौतम इस घटना से बहुत आश्चर्यचकित और दुःखी थे। अब उन सारे ब्राह्मणों ने कहा कि तुम्हें यह आश्रम छोड़कर अन्यत्र कहीं दूर चले जाना चाहिए। गो-हत्यारे के निकट रहने से हमें भी पाप लगेगा। विवश होकर ऋषि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या के साथ वहाँ से एक कोस दूर जाकर रहने लगे। किंतु उन ब्राह्मणों ने वहाँ भी उनका रहना दूभर कर दिया। वे कहने लगे- ‘गो-हत्या के कारण तुम्हें अब वेद-पाठ और यज्ञादि के कार्य करने का कोई अधिकार नहीं रह गया।’ अत्यंत अनुनय भाव से ऋषि गौतम ने उन ब्राह्मणों से प्रार्थना की कि आप लोग मेरे प्रायश्चित और उद्धार का कोई उपाय बताएँ।
तब उन्होंने कहा- ‘गौतम! तुम अपने पाप को सर्वत्र सबको बताते हुए तीन बार पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करो। फिर लौटकर यहाँ एक महीने तक व्रत करो। इसके बाद ‘ब्रह्मगिरी’ की 101 परिक्रमा करने के बाद तुम्हारी शुद्धि होगी अथवा यहाँ गंगाजी को लाकर उनके जल से स्नान करके एक करोड़ पार्थिव शिवलिंगों से शिवजी की आराधना करो। इसके बाद पुनः गंगाजी में स्नान करके इस ब्रह्मगीरि की 11 बार परिक्रमा करो। फिर सौ घड़ों के पवित्र जल से पार्थिव शिवलिंगों को स्नान कराने से तुम्हारा उद्धार होगा।
ब्राह्मणों के कथनानुसार महर्षि गौतम वे सारे कार्य पूरे करके पत्नी के साथ पूर्णतः तल्लीन होकर भगवान शिव की आराधना करने लगे। इससे प्रसन्न हो भगवान शिव ने प्रकट होकर उनसे वर माँगने को कहा। महर्षि गौतम ने उनसे कहा- ‘भगवान्‌ मैं यही चाहता हूँ कि आप मुझे गो-हत्या के पाप से मुक्त कर दें।’ भगवान्‌ शिव ने कहा- ‘गौतम ! तुम सर्वथा निष्पाप हो। गो-हत्या का अपराध तुम पर छल पूर्वक लगाया गया था। छल पूर्वक ऐसा करवाने वाले तुम्हारे आश्रम के ब्राह्मणों को मैं दण्ड देना चाहता हूँ।’
इस पर महर्षि गौतम ने कहा कि प्रभु! उन्हीं के निमित्त से तो मुझे आपका दर्शन प्राप्त हुआ है। अब उन्हें मेरा परमहित समझकर उन पर आप क्रोध न करें।’ बहुत से ऋषियों, मुनियों और देव गणों ने वहाँ एकत्र हो गौतम की बात का अनुमोदन करते हुए भगवान्‌ शिव से सदा वहाँ निवास करने की प्रार्थना की। वे उनकी बात मानकर वहाँ त्र्यम्बक ज्योतिर्लिंग के नाम से स्थित हो गए। गौतमजी द्वारा लाई गई गंगाजी भी वहाँ पास में गोदावरी नाम से प्रवाहित होने लगीं। यह ज्योतिर्लिंग समस्त पुण्यों को प्रदान करने वाला है।
  हर हर महादेव
विश्व संवाद सम्पर्क सचिवअमित कुमार शर्माश्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ गाजियाबाद उत्तर प्रदेश

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