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आज के पोस्ट में जाने:-खरण्टिया मठ की महिमा एवं10 मई से शुरू होने वाले अन्नपूर्णा महायज्ञ व संत सम्मेलन की तैयारियां एवं अक्षय तृतीया के बारे में

पूरे विश्व में है खरण्टिया मठ की महिमाः श्रीमहंत नारायण गिरि जोगेंद्र पीर का नाम आज भी पूरे विश्व में श्रद्धा से लिया जाता है राजस्थानः श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि खरण्टिया मठ समदङी सिवाना बालोतरा ऐसा सिद्ध मठ है, जहां आज भी चमत्कार होते हैं। मठ की मान्यता देश ही नहीं पूरे विश्व में है और यहां पर मत्था टेकने से सभी कष्ट दूर होते हैं और सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि मठ में पूरे वर्ष पूजा-अर्चना करने के लिए भक्तों की भीड लगी रहती है। विश्व भर से भक्त यहां पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। यह मारवाड नरेशों की पूजा का मुख्य केंद्र है। जोधपुर दुर्ग व खरण्टिया मठ का निर्माण एक ही वर्ष में हुआ। संवत 1515 में रामचंद्र भारती व उनके सिद्ध शिष्य जोगेंद्र भारती ने मठ की स्थापना की थी।

श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि जोगेंद्र पीर

गुरू रामचंद्र भारती के शिष्य जोगेंद्र भारती मठासीन हुए जो बहुत ही तपस्वी, पहुंचे हुए महात्मा व सिद्ध संत थे। उन्होंने अपने तप से 24 पीरों का साक्षात्कार कर लिया था। उनके चमत्कारों से प्रभावित होकर पीरों ने उन्हें अपना गुरू मान पीर की पदवी दी थी और उसके बाद से ही वे जोगेंद्र पीर के नाम से प्रसिद्ध हुए। श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि जोगेंद्र पीर ने 4 समाधियां ली थी। आज भी पूरे विश्व में जोगेंद्र पीर के लाखों-करोडों भक्त हैं और उन पर आज भी जोगेंद्र पीर की कृपा रहती है। जोगेंद्र पीर के शिष्य संतोष भारती, भीम भारती, पाटवी शिष्य रामेश्वर भारती, भांगड भारती भी बहुत ही चमत्कारी व सिद्ध संत थे। मठ के 18 वें तथा अंतिम चमत्कारी व सिद्ध संत मोती भारती थे। उनके बाद से मठ का पतन होने लगा था। 1892 में माघ भारती ने वर्तमान मठ का निर्माण कराया और आज फिर से यह मठ पूरे विश्व में सिद्ध मठ के नाम से जाना जाता है। आज भी जोगेद्र पीर का नाम पूरे विश्व में बडी श्रद्धा से लिया जाता है। हर शिवरात्रि पर राम जागेश्वर महादेव के साथ जोगेंद्र पीर का मेला लगता है। मठ के वर्तमान महंत किशन भारती भी सिद्ध संत है। वे मठ की परम्परा का निर्वाह करते हुए देश-विदेश में आध्यात्म, भारतीय संस्कृति, विरासत व सनातन धर्म की अलख जगाने का कार्य कर रहे हैं।

खरण्टिया मठ समदङी सिवाना बालोतरा में 10 मई से शुरू होने वाले अन्नपूर्णा महायज्ञ व संत सम्मेलन की तैयारियां पूरी हुईं
संत सम्मेलन देश को नई दिशा व दशा प्रदान करेगाः श्रीमहंत नारायण गिरि:-

राजस्थानः
खरण्टिया मठ समदङी सिवाना बालोतरा में 10 से 13 मई तक होने वाले जूना अखाडे महासभा के अन्नपूर्णा महायज्ञ व अखिल भारतीय संत सम्मेलन की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। पहले दिन भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाएगी। भगवान परशुराम का पूजन व पाठ किया जाएगा। अक्षय तृतीया का पूजन भी शुक्रवार को किया जाएगा। श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि महासभा की बैठक व अखिल भारतीय संत सम्मेलन जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता व निर्देशानुसार हो रहा है जिसके मुख्य अतिथि उधर्वाम्नाय श्री काशी सुमेरूपीठाधीश्वार अनंत श्री विभूषित जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज रहेंगे। जूना अखाड़ा के वर्तमान अंतरराष्ट्रीय सभापति अध्यक्ष प्रेम गिरि महाराज, पूर्व सभापति उमाशंकर भारती महाराज, सचिव महेश पुरी महाराज, सचिव शैलेंद्र गिरि महाराज, खरण्टिया मठ के महंत किशन भारती महाराज, रमते राम पंच के श्रीमहंत निरंजन भारती महाराज, श्रीमहंत मोहन भारती महाराज, उपाध्यक्ष ओमकार भारती महाराज, चार मणि के अध्यक्ष प्रेम भारती महाराजए 16 मणि के अध्यक्ष जगदीश पुरी महाराज, श्रीधर गिरि महाराज, शेरगढ के महंत शिव गिरि महाराज, कोटेश्वर के महंत सत्यम गिरि महाराज, श्रीमहंत शिवानंद सरस्वती महाराज, नागणेची माता मंदिर धुंधाड़ा के मुख्य पुजारी व नागणेची माता के उपासक मदन सिंह तंवर, मुन्नीश्वर गिरि महाराज अचलेश्वर महादेव जोधपुर के दिशा.निर्देशन में होने वाले संत सम्मेलन में देश भर से संत-महात्मा भाग लेंगे।

10 मई को अक्षय तृतीया का पूजन व परशुराम जयंती

10 मई को अक्षय तृतीया का पूजन व परशुराम जयंती पर यज्ञ भी किया जाएगा। 11 मई को अन्नपूर्णा यज्ञ होगा। 12 मई को शंकराचार्य जयंती मनाई जाएगी। साथ ही चारों धाम बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम व जगन्नाथ धाम तथा चारों मठ द्वारका मठ, श्रृंगेरी मठ, द्वारका मठ व गोवर्धन मठ की पूजा-अर्चना की जाएगी। 13 मई को पूर्णाहुति होगी और सम्मेलन में देश विदेश के मंदिरों के रखरखाव, नए वेद विद्यालय खोले जाने, विद्यार्थियों को वेद, गीता, रामायण की शिक्षा देने, सनातन धर्म को मजबूत करने आदि पर चर्चा होगी। भंडारे का आयोजन भी होगा जिसमें हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे। 10 सं 13 मई तक अन्नपूर्णा स्त्रोत का 1008 बार पाठ, गणेश पूजन, कलश पूजन व सभी देवी-देवताओं का पूजन होगा। ये सभी धार्मिक आयोजन छह ब्राहमणों द्वारा कराया जाएगा जिसमें मुख्य आचार्य तयौराज उपाध्याय, ब्रहमा अनिल कुमार पाणी, दीपांकर पांडे, दीपांशु मिश्र, विकास शर्मा, रितविक व अभिषेक पांडे शामिल होंगे। महाराजश्री ने बताया कि पोकरण के विधायक प्रतापपुरी महाराज, सिवाना के विधायक हमीर सिंह भायल, जोधपुर के महाराजा गज सिंह, पोकरण के महाराजा नागेंद्र सिंह, रावल किशन सिंह, कुंवर हरिशचंद्र सिंह के अलावा जगदगुरू शंकराचार्य, श्रीमहंत, महंत, महामंडलेश्वर, रमतापंच, सरपंच आदि तथा 125 से अधिक गांवों के भक्तगण भाग लेंगे।

अक्षय तृतीया पर अर्जित पुण्य का कभी भी क्षय नहीं होता हैः श्रीमहंत नारायण गिरि:-

राजस्थानः
श्रीपंच दशनाम जूना अखाडा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि अक्षय तृतीया का हिंदू धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। राजस्थान में इस पर्व को आखा तीज के नाम से जाना जाता है। अक्षय तृतीया को अनंत, अक्षय, अक्षुष्ण फलदायक कहा जाता है। जो कभी क्षय नहीं होता है, उसे अक्षय कहा जाता है। महाराजश्री ने बताया कि इस दिन जो भी पुण्य अर्जित किए जाते हैं उनका कभी क्षय नहीं होता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए किसी मृुर्हूत की जरूरत नहीं पडती है। इसी कारण इस दिन हर तरह के शुभ कार्य बिना मुहूर्त के संपन्न किए जा सकते हैं और उनका शुभदायक फल होता है। इस शुभ दिन पर सोना-चाँदी खरीदना भी बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करना बहुत शुभ रहता है। भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की कृपा से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि, खुशहाली बनी रहती है। श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि अक्षय तृतीया की महिमा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने भगवान परशुराम के रूप में अवतार लिया।

सतयुग और त्रेता युग का आरम्भ

इसी दिन से सतयुग और त्रेता युग का आरम्भ हुआ। सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण हुआ। मां अन्नपूर्णा का जन्म भी इसी दिन हुआ। महर्षि परशुराम जी की जयंती भी इसी दिन है। मां गंगा का अवतरण भी इसी दिन हुआ। धन के देवता कुबेर को इसी दिन खजाना मिला था। भगवान श्रीकृष्ण व उनके बचपन के मित्र सुदामा का मिलन भी इसी दिन हुआ था। महाभारत काल में जब दुर्योधन ने द्रौपदी का चीरहरण किया था तो उस दिन अक्षय तृतीया थी और भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की पुकार सुनकर उसको अक्षय चीर प्रदान कर उसकी रक्षा की थी। चारों धाम की यात्रा के मुख्य स्थल श्री बद्रीनाथ मंदिर के कपाट भी अक्षय तृतीया को ही खुलते हैं। इसी दिन भक्तों को वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के चरणों के दर्शन होते हैं।

1 Comment

  • MANGILAL JANGID
    May 10, 2024

    बहुत ही महत्त्वपूर्ण जानकारी सनातन धर्म में कैसे कैसे सिद्धहस्त संत हुए जिन्होंने अपने तप, त्याग ओर तपस्या से सनातन संस्कृति एवं मानव सेवा के अत्यंत दुर्लभ कार्य किए | इतने विशाल कार्यक्रम के आयोजको को बहुत बहुत बधाई 🌷

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