महाराजश्री विश्व प्रसिद्ध नारायणीयम् महोत्सव वैकुंठमृतम् में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
महोत्सव का शुभारंभ केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया।
केरलः
सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दिल्ली संत मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज कोचीन (एर्नाकुलम) पहुंच गए, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। यहां से महाराजश्री केरल के पवित्र शहर गुरुवायुर पहुंचे और 10 अक्टूबर तक होने वाले ऐतिहासिक 10वें नारायणीयम् महोत्सव वैकुंठमृतम् में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। विशिष्ट अतिथि पूर्व राज्यपाल कुम्मनम राजशेखरन रहे। महोत्सव का शुभारंभ केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया। अध्यक्षता नारायणीय महोत्सव समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंगोडे रामकृष्णन ने की।
प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष व स्वागत चेयरमैन एम. बी. विजयकुमार, गुरुवायुर अध्यक्ष डॉ. वी. के. विजयन व नगर पार्षद शोभा हरिनारायणन ने श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, पूर्व राज्यपाल कुम्मनम राजशेखरन समेत सभी अतिथियों का स्वागत-अभिनंदन किया।
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा:-
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि केरल के पवित्र शहर गुरुवायुर की देश ही नहीं, पूरे विश्व में अलग पहचान है क्योंकि यहां भगवान गुरुवायुरप्पन अर्थात भगवान कृष्ण का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है, जिसमें भगवान बाल रूप में साक्षात विराजमान हैं। मंदिर में वर्षभर पूरे विश्व के भक्तों का मेला लगा रहता है और जो भी भक्त यहां पूजा-अर्चना करता है, उसका हर कष्ट, रोग व बाधा दूर हो जाती है तथा उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है और उसका जीवन सदैव सुख-समृद्धि से भरपूर रहता है।












मूर्ति को मानव कल्याण के लिए स्थापित किया :-
कलियुग की शुरुआत में देवगुरु बृहस्पति और वायुदेव ने द्वारका के डूबने के बाद समुद्र से निकालकर इस मूर्ति को मानव कल्याण के लिए स्थापित किया था। इसी कारण इसे दक्षिण का द्वारका भी कहा जाता है। देवगुरु बृहस्पति और वायुदेव के नाम पर ही भगवान का नाम गुरुवायुरप्पन और नगर का नाम गुरुवायुर पड़ा। इस मंदिर को भूलोक वैकुंठम के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है—धरती पर वैकुंठ लोक।
5000 वर्ष पुराने इस मंदिर का निर्माण:-
5000 वर्ष पुराने इस मंदिर का निर्माण स्वयं विश्वकर्मा ने किया था और आज यह मंदिर विश्वभर में आस्था, भक्ति, संस्कार, परंपरा व मानवता कल्याण का प्रमुख केंद्र है। यह नारायणीयम् महोत्सव वैकुंठमृतम् के आयोजकों पर भगवान कृष्ण की कृपा ही है कि वे 10 वर्ष से इस महोत्सव के माध्यम से भगवान की भक्ति की अमृतवर्षा कर विश्वभर के लोगों का जीवन धन्य बना रहे हैं।
समिति के राष्ट्रीय महासचिव हरिमेनोन चम्पाराम्बिल ने अतिथियों का परिचय कराया। के. जी. बाबूराजन, बी. आर. अजित और पी. नटराजन ने सभी को सम्मानित किया। सामान्य संयोजक बाबूराम केचेरी ने आभार व्यक्त किया।
समारोह में पहले दिन आर. एल. वी. आनंद एंड पार्टी द्वारा भरतनाट्यम के माध्यम से प्रस्तुत नृत्य-नाटिका दशावतार, अनामिका ओटापोलम व नारायणीय नृत्य-नाटिका आकर्षण का केंद्र रही। नारायणीय पारायणम्, तुलसी विवाह उत्सव, दीप आराधना का आयोजन भी हुआ। गुरुवायुरप्पन परिक्रमा और प्रसाद अर्पण में हजारों भक्तों ने भाग लिया।